iv kya hota hai | IV क्या होता है?

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IV क्या होता है? (iv kya hota hai)

स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग करने वालों के लिए IV यानी इम्प्लाइड वोलेटिलिटी (Implied Volatility) एक अहम कॉन्सेप्ट है। यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि यह बाजार के भविष्य के उतार-चढ़ाव को समझने में भी मदद करता है। अगर आप स्टॉक मार्केट में सक्रिय हैं या ऑप्शन ट्रेडिंग में रुचि रखते हैं, तो IV को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है। इस आर्टिकल में हम IV के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि यह कैसे काम करता है, इसका स्टॉक मार्केट में क्या महत्व है, और इसे कैसे उपयोग में लाया जा सकता है।


IV क्या होता है? (iv kya hota hai)

इम्प्लाइड वोलेटिलिटी (IV) एक सांख्यिकीय मापदंड है जो ऑप्शन ट्रेडिंग में उपयोग किया जाता है। यह बाजार की उम्मीदों को दर्शाता है कि भविष्य में किसी स्टॉक, इंडेक्स, या अन्य वित्तीय एसेट की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव (Volatility) हो सकता है। IV को प्रतिशत (%) में व्यक्त किया जाता है और यह ऑप्शन की कीमत (Premium) को प्रभावित करता है।

सरल शब्दों में, IV यह बताता है कि बाजार के प्रतिभागी किसी स्टॉक की कीमत में भविष्य में कितना उतार-चढ़ाव होने की उम्मीद कर रहे हैं। अगर IV ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि बाजार में उस स्टॉक को लेकर अनिश्चितता (Uncertainty) ज्यादा है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी स्टॉक का IV 25% है, तो इसका मतलब है कि बाजार उम्मीद कर रहा है कि अगले एक साल में उस स्टॉक की कीमत में 25% का उतार-चढ़ाव हो सकता है।


IV कैसे काम करता है? (How Does IV Work?)

IV का सीधा संबंध ऑप्शन प्रीमियम से होता है। ऑप्शन प्रीमियम वह कीमत है जो एक ट्रेडर ऑप्शन खरीदने या बेचने के लिए चुकाता है। जब IV बढ़ता है, तो ऑप्शन प्रीमियम भी बढ़ता है, और जब IV घटता है, तो ऑप्शन प्रीमियम भी घटता है।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी स्टॉक का IV 30% है। इसका मतलब है कि बाजार उम्मीद कर रहा है कि अगले एक साल में उस स्टॉक की कीमत में 30% का उतार-चढ़ाव हो सकता है। अगर IV बढ़कर 40% हो जाता है, तो ऑप्शन प्रीमियम भी बढ़ जाएगा क्योंकि बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है।

IV का उपयोग करके ट्रेडर्स यह अनुमान लगा सकते हैं कि भविष्य में किसी स्टॉक की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव हो सकता है। यह जानकारी उन्हें बेहतर ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बनाने में मदद करती है।

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IV का स्टॉक मार्केट में महत्व (iv kya hota hai)

  1. ऑप्शन प्राइसिंग में भूमिका:
    IV ऑप्शन की कीमत तय करने में अहम भूमिका निभाता है। ज्यादा IV का मतलब है कि ऑप्शन प्रीमियम महंगा होगा, क्योंकि बाजार में अनिश्चितता ज्यादा है।
  2. मार्केट सेंटीमेंट को समझना:
    IV बाजार के सेंटीमेंट को समझने में मदद करता है। अगर किसी स्टॉक का IV अचानक बढ़ जाता है, तो यह संकेत हो सकता है कि बाजार में कोई बड़ी घटना होने वाली है, जैसे कम्पनी का रिजल्ट, कोई नया प्रोडक्ट लॉन्च, या कोई बड़ी आर्थिक खबर।
  3. रिस्क मैनेजमेंट:
    IV ट्रेडर्स को रिस्क मैनेजमेंट में मदद करता है। अगर IV ज्यादा है, तो ट्रेडर्स को पता चल जाता है कि बाजार में अनिश्चितता ज्यादा है और वे अपनी पोजीशन को ठीक से मैनेज कर सकते हैं।
  4. स्ट्रैटेजी बनाने में मदद:
    IV का उपयोग करके ट्रेडर्स अलग-अलग ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर IV ज्यादा है, तो ट्रेडर्स ऑप्शन बेचने की स्ट्रैटेजी अपना सकते हैं, क्योंकि ऑप्शन प्रीमियम महंगा होगा।

IV को प्रभावित करने वाले कारक (iv kya hota hai)

  1. मार्केट इवेंट्स:
    कम्पनी के रिजल्ट, इकोनॉमिक डेटा, या कोई बड़ी खबर IV को प्रभावित कर सकती है।
  2. टाइम टू एक्सपायरी:
    ऑप्शन की एक्सपायरी डेट जितनी नजदीक होगी, IV उतना ही ज्यादा हो सकता है।
  3. सप्लाई और डिमांड:
    अगर किसी ऑप्शन की डिमांड ज्यादा है, तो उसका IV भी बढ़ सकता है।
  4. मार्केट वोलेटिलिटी:
    अगर पूरे बाजार में वोलेटिलिटी ज्यादा है, तो IV भी बढ़ सकता है।

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IV का उपयोग कैसे करें? (How to Use IV in Trading)

  1. ऑप्शन खरीदने के लिए:
    अगर आपको लगता है कि IV कम है और भविष्य में बढ़ सकता है, तो आप ऑप्शन खरीद सकते हैं।
  2. ऑप्शन बेचने के लिए:
    अगर IV ज्यादा है और आपको लगता है कि यह घट सकता है, तो आप ऑप्शन बेच सकते हैं।
  3. स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल स्ट्रैटेजी:
    IV का उपयोग करके आप स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल जैसी स्ट्रैटेजी बना सकते हैं।
  4. वीक और मंथली ऑप्शन्स:
    अगर आप शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग करते हैं, तो IV का उपयोग करके आप वीक और मंथली ऑप्शन्स में ट्रेड कर सकते हैं।

IV और हिस्टोरिकल वोलेटिलिटी में अंतर (iv kya hota hai)

  • इम्प्लाइड वोलेटिलिटी (IV): यह भविष्य के उतार-चढ़ाव की उम्मीद को दर्शाता है।
  • हिस्टोरिकल वोलेटिलिटी: यह अतीत के उतार-चढ़ाव को दर्शाता है।

दोनों के बीच का अंतर समझना जरूरी है क्योंकि यह आपकी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी को प्रभावित कर सकता है।


IV का उपयोग करने के टिप्स (Tips for Using IV)

  1. IV रैंक और IV परसेंटाइल का उपयोग करें:
    IV रैंक और IV परसेंटाइल आपको यह समझने में मदद करते हैं कि IV किसी स्टॉक के लिए ऐतिहासिक स्तर पर कहां है।
  2. हाई IV में ऑप्शन बेचें:
    अगर IV हाई है, तो ऑप्शन बेचने से आपको ज्यादा प्रीमियम मिल सकता है।
  3. लो IV में ऑप्शन खरीदें:
    अगर IV लो है, तो ऑप्शन खरीदने से आपको सस्ते में ऑप्शन मिल सकते हैं।

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ऑप्शन चैन में IV कैसे पढ़ा जाता है? समझें स्टेप बाय स्टेप

स्टॉक मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय ऑप्शन चैन (Options Chain) एक महत्वपूर्ण टूल है जो सभी उपलब्ध ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स (कॉल और पुट) को स्ट्राइक प्राइस, एक्सपायरी डेट, ओपन इंटरेस्ट, वॉल्यूम और इम्प्लाइड वोलेटिलिटी (IV) के साथ प्रदर्शित करता है। IV को समझना और उसे ऑप्शन चैन में पढ़ना ट्रेडर्स के लिए बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कि ऑप्शन चैन में IV को कैसे पढ़ा जाता है और इसका विश्लेषण कैसे करें।


ऑप्शन चैन क्या होता है? (What is an Options Chain?)

ऑप्शन चैन एक टेबल है जो किसी स्टॉक या इंडेक्स के लिए सभी उपलब्ध ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स (कॉल और पुट) को स्ट्राइक प्राइस के हिसाब से दिखाता है। इसमें निम्न जानकारियां शामिल होती हैं:

  • स्ट्राइक प्राइस (Strike Price)
  • कॉल ऑप्शन प्रीमियम (Call Premium)
  • पुट ऑप्शन प्रीमियम (Put Premium)
  • ओपन इंटरेस्ट (Open Interest)
  • वॉल्यूम (Volume)
  • इम्प्लाइड वोलेटिलिटी (IV)
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ऑप्शन चैन में IV कहां दिखता है? (Where is IV Located in Options Chain?)

IV को ऑप्शन चैन में आमतौर पर “Implied Volatility” या “IV” नाम के कॉलम में दिखाया जाता है। यह कॉल और पुट दोनों ऑप्शन्स के लिए अलग-अलग प्रतिशत (%) में दिखाई देता है। उदाहरण के लिए:

स्ट्राइक प्राइसकॉल IVकॉल प्रीमियमपुट IVपुट प्रीमियम
1800018%15020%120
1820020%13022%140

इस टेबल में, कॉल IV और पुट IV कॉलम में IV के मान प्रतिशत में दिखाए गए हैं।


IV को ऑप्शन चैन में कैसे समझें? (How to Interpret IV in Options Chain)

1. IV का स्तर (Level of IV)
  • हाई IV (High IV): अगर किसी स्ट्राइक प्राइस के लिए IV 30% या उससे ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि बाजार उस स्टॉक में भविष्य में ज्यादा उतार-चढ़ाव की उम्मीद कर रहा है। इस स्थिति में ऑप्शन प्रीमियम महंगा होगा।
  • लो IV (Low IV): अगर IV 15% या उससे कम है, तो बाजार कम उतार-चढ़ाव की उम्मीद कर रहा है। इस स्थिति में ऑप्शन प्रीमियम सस्ता होगा।
2. IV की तुलना करें (Compare IV Across Strikes)
  • ATM ऑप्शन्स (At-The-Money): जो स्ट्राइक प्राइस करंट मार्केट प्राइस के सबसे करीब होता है (जैसे Nifty का करंट प्राइस 18,000 है, तो 18,000 स्ट्राइक), उसका IV अक्सर सबसे कम होता है।
  • OTM ऑप्शन्स (Out-of-The-Money): जो स्ट्राइक प्राइस करंट प्राइस से दूर होते हैं (जैसे 18,500 कॉल या 17,500 पुट), उनका IV ज्यादा हो सकता है, क्योंकि बाजार को उन स्तरों पर ज्यादा अनिश्चितता लगती है।
3. कॉल और पुट IV में अंतर (Call vs. Put IV)
  • पुट IV > कॉल IV: अगर पुट ऑप्शन्स का IV कॉल ऑप्शन्स से ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि बाजार में डाउनसाइड (गिरावट) की चिंता ज्यादा है।
  • कॉल IV > पुट IV: अगर कॉल ऑप्शन्स का IV ज्यादा है, तो बाजार अपसाइड (तेजी) की उम्मीद कर रहा है।

IV के पैटर्न को पहचानें (Identify IV Patterns)

1. वोलेटिलिटी स्माइल (Volatility Smile)
  • यह पैटर्न तब दिखता है जब OTM (Out-of-The-Money) और ITM (In-The-Money) ऑप्शन्स का IV, ATM (At-The-Money) ऑप्शन्स से ज्यादा होता है। यह बाजार की उम्मीद दर्शाता है कि एक्स्ट्रीम मूवमेंट (तेजी या गिरावट) की संभावना है।
2. वोलेटिलिटी स्क्यू (Volatility Skew)
  • अगर पुट ऑप्शन्स का IV कॉल ऑप्शन्स से ज्यादा है, तो इसे पुट स्क्यू कहते हैं। यह डाउनसाइड के प्रति बाजार के डर को दिखाता है।

IV का उपयोग करने के प्रैक्टिकल टिप्स (Practical Tips to Use IV)

  1. हाई IV में ऑप्शन बेचें (Sell Options in High IV)
    • अगर IV हिस्टोरिकल लेवल से ज्यादा है, तो ऑप्शन बेचकर ज्यादा प्रीमियम कमाएं।
    • उदाहरण: Nifty का IV अगर 30% है और इसका हिस्टोरिकल एवरेज 20% है, तो ऑप्शन बेचना फायदेमंद हो सकता है।
  2. लो IV में ऑप्शन खरीदें (Buy Options in Low IV)
    • अगर IV हिस्टोरिकल लेवल से कम है, तो ऑप्शन खरीदें, क्योंकि प्रीमियम सस्ता होगा।
  3. IV रैंक और IV परसेंटाइल चेक करें (Check IV Rank/Percentile)
    • IV रैंक बताता है कि करंट IV पिछले 1 साल के IV रेंज में कहां है।
    • अगर IV परसेंटाइल 80% से ऊपर है, तो IV हाई माना जाता है।

उदाहरण: Nifty के ऑप्शन चैन में IV पढ़ना

मान लीजिए Nifty का करंट प्राइस 18,000 है और ऑप्शन चैन कुछ इस तरह दिख रहा है:

स्ट्राइक प्राइसकॉल IVकॉल प्रीमियमपुट IVपुट प्रीमियम
1780022%₹5025%₹80
18000 (ATM)18%₹12020%₹100
1820020%₹9023%₹150
  • विश्लेषण:
    • 17800 पुट ऑप्शन का IV 25% है, जो ATM (18000) के IV (20%) से ज्यादा है। इसका मतलब है कि बाजार 17800 स्तर पर गिरावट की आशंका ज्यादा है।
    • 18200 कॉल ऑप्शन का IV 20% है, जो ATM से थोड़ा ज्यादा है, लेकिन पुट IV की तुलना में कम है। यह बताता है कि बाजार में तेजी की उम्मीद कम है।

आम गलतियां जिनसे बचें (Common Mistakes to Avoid)

  1. IV को अकेले न देखें: IV के साथ ओपन इंटरेस्ट, वॉल्यूम, और टेक्निकल एनालिसिस को भी चेक करें।
  2. हिस्टोरिकल IV को इग्नोर न करें: करंट IV की तुलना हमेशा पिछले डेटा से करें।
  3. एक्सपायरी को न भूलें: नजदीकी एक्सपायरी वाले ऑप्शन्स का IV ज्यादा हो सकता है।

यह भी जाने: फंडामेंटल एनालिसिस क्या है?


निष्कर्ष (iv kya hota hai)

इम्प्लाइड वोलेटिलिटी (IV) स्टॉक मार्केट और ऑप्शन ट्रेडिंग में एक महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट है। यह न केवल ऑप्शन की कीमत को प्रभावित करता है, बल्कि बाजार के सेंटीमेंट को समझने में भी मदद करता है। अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं, तो IV को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है।

तो अगली बार जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग करें, तो IV पर जरूर ध्यान दें। यह आपकी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी को और भी बेहतर बना सकता है।

क्या आपने कभी IV का उपयोग करके ट्रेडिंग की है? अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करें!

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