डिबेंचर क्या है? 2025 | debentures definition in hindi

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डिबेंचर क्या है? (debentures definition in hindi)

हम जब भी निवेश या वित्तीय योजना की बात करते हैं, तो अक्सर डिबेंचर (Debenture) का नाम सामने आता है। लेकिन डिबेंचर आखिर है क्या, और यह बाकी निवेश विकल्पों से कैसे अलग है?
आसान शब्दों में समझें, तो डिबेंचर कंपनी द्वारा पैसा जुटाने का एक साधन है। जब कोई कंपनी बाजार से पैसा उधार लेना चाहती है, तो वह डिबेंचर जारी करती है। इसे आप कंपनी द्वारा निवेशकों से लिया गया एक प्रकार का लोन भी मान सकते हैं। बदले में, कंपनी तय करती है कि वह समय-समय पर एक निश्चित ब्याज चुकाएगी और निश्चित समय बाद पूरी रकम वापस कर देगी।

डिबेंचर उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है, जो कम जोखिम वाले निवेश की तलाश में हैं और एक निश्चित रिटर्न चाहते हैं।


डिबेंचर कैसे काम करता है? (debentures definition in hindi)

डिबेंचर को समझने के लिए इसकी कार्यप्रणाली को 3 मुख्य हिस्सों में बांट सकते हैं:

1. कंपनी की जरूरत:

जब किसी कंपनी को अपनी परियोजनाओं (जैसे नए प्रोजेक्ट, विस्तार योजना, या ऑपरेशनल खर्च) के लिए पैसों की ज़रूरत होती है, तो वह बैंक से कर्ज़ लेने के बजाय डिबेंचर जारी करना पसंद कर सकती है।

2. निवेशक से पैसा जुटाना:

कंपनी अपना डिबेंचर बाजार में बेचती है। यह डिबेंचर खरीदार (निवेशक) को बताता है कि वह कंपनी को एक तय राशि उधार दे रहा है।

3. ब्याज और रकम लौटाना:

  • कंपनी तय समय तक ब्याज का भुगतान करती है। यह ब्याज छमाही, वार्षिक, या किसी अन्य समयानुसार हो सकता है।
  • अवधि पूरी होने के बाद, कंपनी निवेशक को उसकी मूल राशि लौटा देती है।

डिबेंचर का उदाहरण:

मान लीजिए कि ABC कंपनी 5 साल के लिए डिबेंचर जारी कर रही है और इस पर 10% की वार्षिक ब्याज दर निर्धारित कर रही है।

  1. डिबेंचर जारीकर्ता: ABC कंपनी
  2. निवेशक: राम (एक व्यक्ति जो ABC कंपनी में निवेश करता है)
  3. मूलधन: राम ने 1 लाख रुपये का डिबेंचर खरीदा।
  4. ब्याज दर (कूपन रेट): 10% प्रति वर्ष
  5. परिपक्वता अवधि: 5 साल

प्रक्रिया:

  • राम ने 1 लाख रुपये का डिबेंचर खरीदा, जिससे ABC कंपनी को पूंजी मिली।
  • हर साल ABC कंपनी राम को 1 लाख रुपये पर 10% के हिसाब से 10,000 रुपये का ब्याज देगी।
  • यह ब्याज भुगतान 5 साल तक हर वर्ष होता रहेगा।
  • 5 साल के बाद, जब डिबेंचर की परिपक्वता अवधि समाप्त होगी, तो कंपनी राम को उसकी 1 लाख रुपये की मूल राशि वापस करेगी।

निवेशक के फायदे:

  • राम को 5 साल तक हर साल 10,000 रुपये का ब्याज मिला, जो उसकी नियमित आय बनी रही।
  • 5 साल बाद उसे उसका मूलधन वापस मिल गया।

कंपनी के फायदे:

  • ABC कंपनी को 5 साल के लिए पैसा मिला, जिसका उपयोग वह अपने व्यवसाय के विस्तार या अन्य गतिविधियों के लिए कर सकती है।

डिबेंचर के मुख्य प्रकार (debentures definition in hindi)

डिबेंचर को उनके सुरक्षा स्तर और अन्य विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

1. सुरक्षित डिबेंचर (Secured Debentures):

ये डिबेंचर किसी संपत्ति द्वारा सुरक्षित होते हैं। इसका मतलब है कि अगर कंपनी डिफॉल्ट करती है (कर्ज़ चुकाने में विफल होती है), तो संपत्ति बेचकर आपकी रकम चुकाई जाएगी।

2. असुरक्षित डिबेंचर (Unsecured Debentures):

इनमें आपकी निवेशित राशि को किसी संपत्ति का बैकअप नहीं मिलता है। अगर कंपनी डिफॉल्ट करती है, तो आपकी राशि डूब भी सकती है। इसलिए इनमें जोखिम अधिक होता है।

3. परिवर्तनीय डिबेंचर (Convertible Debentures):

ये खास डिबेंचर हैं, जिन्हें निवेशक एक समय के बाद कंपनी के शेयर में बदल सकता है।

4. अपरिवर्तनीय डिबेंचर (Non-Convertible Debentures):

इन्हें शेयरों में नहीं बदला जा सकता। ये केवल ब्याज और मूल राशि लौटाने का वादा करते हैं।


डिबेंचर में निवेश क्यों करें?

निवेश के अनेक विकल्प होते हैं, लेकिन डिबेंचर कुछ विशेष लाभ प्रदान करता है। आइए जानते हैं कि डिबेंचर में निवेश क्यों फायदेमंद हो सकता है:

1. निश्चित आय का स्रोत:

डिबेंचर पर आपको नियमित और निश्चित ब्याज मिलता है, जिससे यह एक स्थिर आय का अच्छा साधन बनता है।

2. कम जोखिम:

शेयर मार्केट की तुलना में डिबेंचर का जोखिम कम होता है। अगर आप सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं, तो डिबेंचर एक अच्छा विकल्प है।

3. लंबी अवधि के लिए उपयुक्त:

डिबेंचर लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बेहतर है, क्योंकि इसमें आपका पैसा सुरक्षित रहता है और साथ ही नियमित ब्याज मिलता है।

4. संपत्ति पर प्राथमिकता:

सुरक्षित डिबेंचर के मामले में, अगर कंपनी के पास संकट आता है, तो आपकी राशि को प्राथमिकता के आधार पर लौटाया जाएगा।

5. फिक्स्ड रिटर्न (Fixed Return):

  • डिबेंचर निवेशकों को एक निश्चित ब्याज की गारंटी देता है, भले ही बाजार में उतार-चढ़ाव क्यों न हो। शेयर बाजार की अस्थिरता के मुकाबले डिबेंचर एक स्थिर और निश्चित रिटर्न का माध्यम है।
  • इससे निवेशकों को अपने भविष्य के वित्तीय नियोजन में मदद मिलती है क्योंकि उन्हें पहले से पता होता है कि उन्हें कितना रिटर्न मिलेगा।

6. शेयरों में बदलने का विकल्प (Convertible Debentures):

  • परिवर्तनीय डिबेंचर (Convertible Debentures) में निवेश करने का एक फायदा यह है कि आप अपने डिबेंचर को कंपनी के शेयरों में बदल सकते हैं। यह आपको एक इक्विटी धारक बनने का मौका देता है और अगर कंपनी के शेयरों की कीमतें बढ़ती हैं, तो आपको पूंजी लाभ भी मिल सकता है।
  • इससे निवेशक को दोहरा लाभ मिलता है – पहले नियमित ब्याज और बाद में शेयर बाजार का रिटर्न।

7. सुरक्षा (Relative Safety):

  • सुरक्षित डिबेंचर (Secured Debenture) कुछ संपत्तियों के द्वारा समर्थित होते हैं, इसलिए निवेशकों का पैसा अधिक सुरक्षित होता है।
  • असुरक्षित डिबेंचर में जोखिम थोड़ा अधिक हो सकता है, लेकिन कई प्रतिष्ठित कंपनियां अपनी प्रतिष्ठा और वित्तीय स्थिरता के आधार पर इन्हें जारी करती हैं, जिससे ये भी अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं।

डिबेंचर में निवेश से जुड़े जोखिम

डिबेंचर भले ही सुरक्षित लगता हो, लेकिन यह पूरी तरह जोखिम-मुक्त नहीं है। इनमें निवेश करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:

  1. कंपनी का डिफॉल्ट:
    अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है या समय पर रकम लौटाने में विफल रहती है, तो आपका पैसा डूब सकता है।
  2. ब्याज दर का जोखिम:
    डिबेंचर का ब्याज फिक्स होता है। अगर बाजार में ब्याज दरें बढ़ जाती हैं, तो आपका डिबेंचर निवेश कम लाभदायक लग सकता है।
  3. कम रिटर्न (Lower Return):
  • डिबेंचर का रिटर्न अन्य निवेश साधनों जैसे शेयर या म्यूचुअल फंड की तुलना में कम होता है। यदि आप अधिक रिटर्न की तलाश में हैं, तो डिबेंचर उतना फायदेमंद नहीं हो सकता।
  • डिबेंचर का मुख्य लाभ इसकी सुरक्षा और स्थिरता है, लेकिन इसके बदले में इसका रिटर्न तुलनात्मक रूप से कम होता है।

डिबेंचर कैसे खरीदें (debentures definition in hindi)

डिबेंचर खरीदने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के डिबेंचर खरीदना चाहते हैं — नए इश्यू (primary market) से या माध्यमिक बाजार (secondary market) से। नीचे दी गई जानकारी आपको डिबेंचर खरीदने के विभिन्न तरीकों के बारे में बताएगी:

1. प्राथमिक बाजार (Primary Market) से डिबेंचर खरीदना:

  • जब कंपनियां नया डिबेंचर जारी करती हैं, तो निवेशक इसे प्राथमिक बाजार में सीधे खरीद सकते हैं। यह प्रक्रिया तब होती है जब कोई कंपनी या सरकार पहली बार डिबेंचर जारी करती है, और इसे आम जनता को ऑफर करती है।
  • इसे Initial Public Offering (IPO) की तरह समझा जा सकता है, लेकिन यहाँ शेयर की जगह डिबेंचर होता है।
प्रक्रिया:
  1. प्रॉस्पेक्टस पढ़ें:
    • जब कोई कंपनी डिबेंचर जारी करती है, तो वह प्रॉस्पेक्टस (Prospectus) जारी करती है, जिसमें डिबेंचर की ब्याज दर, परिपक्वता अवधि, क्रेडिट रेटिंग, और अन्य शर्तों का विवरण होता है।
    • इसे ध्यान से पढ़ें ताकि आपको डिबेंचर की सभी शर्तों और जोखिमों की जानकारी हो।
  2. ब्रोकर से संपर्क करें:
    • आप किसी ब्रोकर या बैंक के माध्यम से डिबेंचर खरीद सकते हैं। आजकल कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी हैं जो आपको सीधे डिबेंचर खरीदने की सुविधा देते हैं।
  3. डीमैट खाता (Demat Account):
    • आपको एक डीमैट खाता (Demat Account) की आवश्यकता होगी, जिसमें आपके द्वारा खरीदे गए डिबेंचर को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखा जाएगा। डिबेंचर भौतिक प्रमाणपत्र के रूप में नहीं आते हैं, वे इलेक्ट्रॉनिक रूप से आपके खाते में जमा होते हैं।
  4. आवेदन करें:
    • जब कंपनी डिबेंचर जारी करती है, तो आप ब्रोकर या बैंक के माध्यम से आवेदन पत्र भरकर उसे खरीद सकते हैं। इसमें आपको डिबेंचर की संख्या और निवेश की जाने वाली राशि का उल्लेख करना होता है।
  5. निवेश करें:
    • आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के बाद, आपको निवेश की राशि जमा करनी होती है। आपके आवेदन को स्वीकार किए जाने पर, डिबेंचर आपके डीमैट खाते में जमा हो जाते हैं।

2. माध्यमिक बाजार (Secondary Market) से डिबेंचर खरीदना:

  • माध्यमिक बाजार वह जगह है जहां पहले से जारी डिबेंचर का लेन-देन किया जाता है। यदि आपने किसी कंपनी का डिबेंचर उसके जारी होने के समय नहीं खरीदा, तो आप इसे स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से भी खरीद सकते हैं, जैसे कि आप शेयर खरीदते हैं।
प्रक्रिया:
  1. डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें:
    • माध्यमिक बाजार से डिबेंचर खरीदने के लिए आपके पास एक डीमैट खाता और एक ट्रेडिंग खाता होना चाहिए। इन दोनों खातों की मदद से आप स्टॉक एक्सचेंज पर डिबेंचर खरीद सकते हैं।
  2. ब्रोकर प्लेटफॉर्म का उपयोग करें:
    • आप अपने ब्रोकर या किसी ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (जैसे Zerodha, Groww, ICICI Direct, आदि) का उपयोग करके स्टॉक एक्सचेंज पर उपलब्ध डिबेंचर की लिस्ट देख सकते हैं।
  3. डिबेंचर चुनें:
    • आपको उस डिबेंचर की पहचान करनी होगी जिसे आप खरीदना चाहते हैं। स्टॉक एक्सचेंज पर डिबेंचर की क्रेडिट रेटिंग, ब्याज दर, परिपक्वता अवधि, और बाजार मूल्य की जानकारी मिल जाएगी। आप इन कारकों के आधार पर अपनी पसंद के डिबेंचर का चुनाव कर सकते हैं।
  4. ऑर्डर दें:
    • एक बार जब आप अपनी पसंद का डिबेंचर चुन लेते हैं, तो आप बाय ऑर्डर (खरीद का आदेश) दे सकते हैं।
    • आपके ऑर्डर के मिलान के बाद, डिबेंचर आपके डीमैट खाते में स्थानांतरित हो जाएंगे और आपका पैसा काट लिया जाएगा।
  5. पेमेंट और डिलीवरी:
    • आपके ऑर्डर के एक्सचेंज में सफल होने के बाद, आपका पेमेंट काटा जाता है और डिबेंचर आपके डीमैट खाते में डिलीवर हो जाते हैं।

3. बैंक या वित्तीय संस्थानों के माध्यम से:

  • कुछ बैंक और वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों को डिबेंचर में निवेश की सुविधा भी प्रदान करते हैं। यदि आप अपने बैंक या किसी वित्तीय संस्थान से जुड़े हैं, तो आप उनके माध्यम से भी डिबेंचर खरीद सकते हैं। वे आपको निवेश की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देंगे और आपकी सहायता करेंगे।

4. म्युचुअल फंड के माध्यम से (Through Mutual Funds):

  • आप डिबेंचर में सीधे निवेश करने की जगह, बॉन्ड म्युचुअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं। ये फंड आपके लिए विभिन्न कंपनियों के डिबेंचर और बॉन्ड में निवेश करते हैं।
  • इस तरह आप विविधता (Diversification) और एक साथ कई डिबेंचर में निवेश करने का लाभ उठा सकते हैं।

5. क्रेडिट रेटिंग पर ध्यान दें:

  • डिबेंचर खरीदते समय, यह सुनिश्चित करें कि आप क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के डिबेंचर खरीदें। AAA या AA रेटेड कंपनियों के डिबेंचर अधिक सुरक्षित होते हैं।
  • क्रेडिट रेटिंग यह दर्शाती है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति कितनी मजबूत है और वह ब्याज और मूलधन भुगतान में कितनी सक्षम है।

डिबेंचर खरीदने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें: (debentures definition in hindi)

  1. क्रेडिट रेटिंग देखें:
    • सुनिश्चित करें कि आप उच्च रेटिंग वाली कंपनियों के डिबेंचर में निवेश करें। AA और AAA रेटिंग वाले डिबेंचर अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं।
  2. ब्याज दर और परिपक्वता अवधि:
    • डिबेंचर खरीदते समय उनकी ब्याज दर और परिपक्वता अवधि पर ध्यान दें। लंबे समय तक लॉक-इन अवधि वाले डिबेंचर में आपकी राशि फंसी रहेगी, इसलिए अपनी नकदी प्रवाह की जरूरतों को ध्यान में रखें।
  3. मुद्रास्फीति और ब्याज दर का प्रभाव:
    • मुद्रास्फीति और बाजार ब्याज दरों में परिवर्तन डिबेंचर पर मिलने वाले रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं। ध्यान रखें कि लंबे समय तक फिक्स्ड रिटर्न वाले डिबेंचर मुद्रास्फीति के प्रभाव से कम आकर्षक हो सकते हैं।
  4. तरलता की जांच करें:
    • अगर आप डिबेंचर को परिपक्वता से पहले बेचने की सोच रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि वह डिबेंचर तरल (Liquid) है और आप इसे आसानी से बेच सकते हैं। कुछ डिबेंचर का बाज़ार मूल्य कम हो सकता है और उनकी मांग भी कम हो सकती है।

डिबेंचर खरीदने के लिए डीमैट अकाउंट

डिबेंचर खरीदने के लिए अच्छे डीमैट अकाउंट की सूची:

  1. Zerodha
  2. Upstox
  3. ICICI Direct
  4. HDFC Securities
  5. Angel One
  6. 5Paisa
  7. Kotak Securities

ये प्लेटफॉर्म्स निवेश की सुविधाएं और उपयोग में आसानी प्रदान करते हैं।


डिबेंचर और म्यूचुअल फंड के बीच अंतर

डिबेंचर और म्यूचुअल फंड के बीच अंतर को समझने के लिए एक साधारण तालिका नीचे दी गई है:

पैरामीटरडिबेंचरम्यूचुअल फंड
परिभाषाकंपनियों द्वारा उधारी के रूप में जारी किए गए ऋण-पत्र।म्यूचुअल फंड जो विभिन्न बॉन्ड और डिबेंचर में निवेश करते हैं।
निवेशसीधे एक कंपनी के डिबेंचर में निवेश किया जाता है।आपके पैसे को कई कंपनियों के बॉन्ड/डिबेंचर में निवेश किया जाता है।
जोखिमकंपनी के डिफॉल्ट करने पर पूरा जोखिम होता है।जोखिम विभाजित होता है क्योंकि फंड कई बॉन्ड में निवेश करता है।
विविधता (Diversification)केवल एक कंपनी पर निर्भर।कई कंपनियों के बॉन्ड में निवेश से विविधता मिलती है।
रिटर्नतयशुदा ब्याज दर (Fixed Interest)।बाजार के प्रदर्शन के अनुसार रिटर्न बदलता है।
तरलता (Liquidity)कम तरलता, बेचने में कठिनाई हो सकती है।ज्यादा तरलता, आसानी से बेच सकते हैं।
प्रबंधननिवेशक खुद देखभाल करता है।फंड मैनेजर निवेश को संभालते हैं।
लागत (Fees)कोई प्रबंधन शुल्क नहीं।फंड मैनेजर को प्रबंधन शुल्क देना पड़ता है।
मूलधन सुरक्षाकेवल कंपनी के ऊपर निर्भर।पोर्टफोलियो विविध होने से कुछ सुरक्षा मिलती है।
कौन खरीद सकता हैजो सीधे कंपनी के ऋण-पत्र में निवेश करना चाहता है।जो कम जोखिम के साथ स्थिर रिटर्न चाहता है।

डिबेंचर से जुड़े कुछ सामान्य सवाल-जवाब (FAQ)

1. डिबेंचर क्या होता है?

डिबेंचर एक तरह का कर्ज़-पत्र होता है। जब कोई कंपनी लोगों से पैसा उधार लेती है, तो वह बदले में डिबेंचर जारी करती है। इसमें कंपनी वादा करती है कि वह समय-समय पर ब्याज देगी और एक निश्चित समय के बाद आपकी पूरी राशि वापस करेगी।

2. डिबेंचर में निवेश कैसे काम करता है?

जब आप डिबेंचर खरीदते हैं, तो आप कंपनी को एक निश्चित समय के लिए पैसा उधार देते हैं। इसके बदले में कंपनी आपको ब्याज देती है और समय पूरा होने पर आपकी मूल राशि वापस करती है।

3. डिबेंचर से कितना कमा सकते हैं?

डिबेंचर से आपको फिक्स ब्याज मिलता है, जैसे 7% या 8% प्रति साल। यह ब्याज आपको हर साल या 6 महीने में मिल सकता है। ये ब्याज दर पहले से तय होती है।

4. डिबेंचर और शेयर में क्या फर्क है?

शेयर खरीदने पर आप कंपनी के मालिक बनते हैं, जबकि डिबेंचर खरीदने पर आप कंपनी को कर्ज देते हैं। शेयर में लाभ और हानि दोनों हो सकती है, लेकिन डिबेंचर में आपको फिक्स ब्याज मिलता है।

5. कौन डिबेंचर में निवेश कर सकता है?

कोई भी जो सुरक्षित और तयशुदा रिटर्न चाहता है, डिबेंचर में निवेश कर सकता है। ये उन लोगों के लिए अच्छा है, जो अपना पैसा लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं और जोखिम से बचना चाहते हैं।

6. क्या डिबेंचर सुरक्षित निवेश है?

हां, डिबेंचर अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं, खासकर अगर वे सुरक्षित डिबेंचर हैं। हालांकि, कंपनी की वित्तीय स्थिति और उसकी क्रेडिट रेटिंग देखना जरूरी होता है।

7. डिबेंचर में क्या जोखिम होते हैं?

अगर कंपनी डूब जाती है या कर्ज नहीं चुका पाती, तो आपको नुकसान हो सकता है। खासकर असुरक्षित डिबेंचर में जोखिम ज्यादा होता है। इसके अलावा, ब्याज दरें बदलने से भी आपके रिटर्न पर असर पड़ सकता है।


निष्कर्ष

डिबेंचर उन निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है, जो अपने निवेश पर एक सुनिश्चित आय चाहते हैं और अधिक जोखिम नहीं उठाना चाहते। हालांकि, निवेश से पहले कंपनी की वित्तीय स्थिति और डिबेंचर से जुड़ी शर्तों को अच्छी तरह समझना जरूरी है।

अगर आप कम जोखिम और नियमित रिटर्न चाह रहे हैं, तो डिबेंचर आपके लिए सही हो सकता है। लेकिन हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आप पूरी जानकारी के बाद ही निवेश करें।

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