डिविडेंड क्या होता है? 2025 | dividend kya hota hai

डिविडेंड क्या होता है? 💰 (dividend kya hota hai)

डिविडेंड का मतलब होता है कंपनी के मुनाफे का एक हिस्सा, जो वो अपने शेयरधारकों को देती है। जब भी कोई कंपनी प्रॉफिट कमाती है, तो वो उस मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने इन्वेस्टर्स में बांट देती है, जिसे डिविडेंड कहते हैं। ये पैसे सीधे आपके बैंक अकाउंट में आ जाते हैं या फिर कंपनी के शेयर की वैल्यू में जुड़ जाते हैं। डिविडेंड इन्वेस्टर्स के लिए एक बोनस की तरह होता है, जो उन्हें कंपनी के अच्छे प्रदर्शन का फायदा उठाने का मौका देता है।


डिविडेंड कैसे काम करता है? 🔄 (dividend kya hota hai)

डिविडेंड ऐसे काम करता है:

  1. कंपनी का मुनाफा: जब कोई कंपनी प्रॉफिट कमाती है, तो वह उस मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों (जिन्होंने कंपनी के शेयर खरीदे होते हैं) में बांटने का फैसला कर सकती है। इस हिस्से को ही डिविडेंड कहा जाता है।
  2. डिविडेंड की घोषणा: कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स यह तय करते हैं कि कितने प्रतिशत डिविडेंड दिया जाएगा। जब इसकी घोषणा होती है, तो एक निश्चित तारीख निर्धारित की जाती है जिसे “रिकॉर्ड डेट” कहा जाता है। इस तारीख तक जिन लोगों के पास कंपनी के शेयर होते हैं, वही डिविडेंड के पात्र होते हैं।
  3. पात्रता (Eligibility): अगर आपने रिकॉर्ड डेट तक कंपनी के शेयर खरीद लिए हैं, तो आप डिविडेंड पाने के हकदार हैं। यदि आप रिकॉर्ड डेट के बाद शेयर खरीदते हैं, तो आपको डिविडेंड नहीं मिलेगा।
  4. डिविडेंड का भुगतान: डिविडेंड का भुगतान या तो कैश में होता है या कंपनी नए शेयर देकर इसे बांटती है। कैश डिविडेंड में आपके बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं, जबकि शेयर डिविडेंड में आपको अतिरिक्त शेयर मिलते हैं।
  5. डिविडेंड यील्ड: डिविडेंड यील्ड यह दिखाती है कि कंपनी द्वारा दिए गए डिविडेंड की वैल्यू, शेयर की मौजूदा कीमत के मुकाबले कितनी है। इसे इस तरह से निकाला जाता है:
    डिविडेंड यील्ड = (डिविडेंड प्रति शेयर / शेयर की कीमत) × 100

डिविडेंड कंपनियों द्वारा इन्वेस्टर्स को प्रोत्साहित करने का एक तरीका होता है, जिससे उन्हें कंपनी में लंबे समय तक निवेश बनाए रखने में मदद मिलती है।

dividend kya hota hai
dividend kya hota hai

यह भी जानें: 👉 शेयर कैसे खरीदते हैं?


डिविडेंड कितने प्रकार के होते हैं? 🧐 (dividend kya hota hai)

मुख्य रूप से डिविडेंड दो प्रकार के होते हैं:

  1. कैश डिविडेंड (Cash Dividend) – यह सबसे आम प्रकार का डिविडेंड है जिसमें कंपनी अपने शेयरधारकों को सीधे उनके बैंक खाते में नकद भुगतान करती है।
  2. स्टॉक डिविडेंड (Stock Dividend) – इसमें कंपनी अपने शेयरधारकों को बोनस शेयर देती है, यानी आपके पास अतिरिक्त शेयर आ जाते हैं लेकिन कैश नहीं मिलता।

💰 डिविडेंड और बोनस शेयर में फर्क 📈

डिविडेंड और बोनस शेयर के बीच अंतर को स्पष्ट करने के लिए निम्नलिखित तालिका देखें:

पैरामीटरडिविडेंडबोनस शेयर
अर्थकंपनी के मुनाफे का हिस्सा जो कैश या शेयर में दिया जाता है।कंपनी द्वारा अपने शेयरधारकों को मुफ्त में दिए गए अतिरिक्त शेयर।
रूपकैश डिविडेंड या शेयर डिविडेंड (अतिरिक्त शेयर)।नए मुफ्त शेयर, बिना किसी निवेशक लागत के।
स्रोतकंपनी के मुनाफे से भुगतान किया जाता है।शेयरधारक के मौजूदा शेयरों पर निर्भर करता है (शेयर पूंजीकरण)।
टैक्सेशननिवेशक की आय में शामिल होता है और इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है।टैक्स नहीं लगता, लेकिन बोनस शेयर बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लागू हो सकता है।
कंपनी पर प्रभावकंपनी के नकदी भंडार (cash reserves) में कमी आती है।कंपनी के नकदी भंडार पर कोई असर नहीं होता।
उद्देश्यनिवेशकों को नियमित आय देना।शेयरधारक की हिस्सेदारी बढ़ाना और बाजार में शेयर की लिक्विडिटी बढ़ाना।
प्रभाव शेयर की कीमत परएक्स-डिविडेंड डेट के बाद शेयर की कीमत डिविडेंड की राशि के बराबर घट सकती है।बोनस शेयर जारी करने से शेयर की कीमत अनुपातिक रूप से घट जाती है।
पात्रताजो शेयरधारक रिकॉर्ड डेट तक शेयर होल्ड करते हैं, उन्हें डिविडेंड मिलता है।जो शेयरधारक रिकॉर्ड डेट तक शेयर होल्ड करते हैं, उन्हें बोनस शेयर मिलते हैं।
फ्रीक्वेंसीकंपनी अपनी मर्जी से डिविडेंड देती है, साल में एक या अधिक बार।बोनस शेयर कम फ्रीक्वेंसी पर जारी किए जाते हैं, सामान्यतः लंबे अंतराल में।
निवेशक के लिए लाभनकद आय या शेयर के रूप में अतिरिक्त लाभ।बिना निवेश के मुफ्त में अतिरिक्त शेयर प्राप्त होते हैं।

डिविडेंड कब मिलता है? 📅

डिविडेंड पाने के लिए आपको कंपनी के “रिकॉर्ड डेट” (record date) और “एक्स-डिविडेंड डेट” (ex-dividend date) को समझना जरूरी है।

  • रिकॉर्ड डेट: जिस दिन कंपनी यह तय करती है कि किन निवेशकों को डिविडेंड मिलेगा।
  • एक्स-डिविडेंड डेट: अगर आप इस तारीख से पहले शेयर खरीदते हैं, तो आपको डिविडेंड मिलेगा। अगर आप इस तारीख के बाद खरीदते हैं, तो आपको डिविडेंड नहीं मिलेगा।

डिविडेंड और शेयर की कीमत में क्या संबंध है? 📉📊 (dividend kya hota hai)

जब कोई कंपनी डिविडेंड देने की घोषणा करती है, तो शेयर की कीमत में आमतौर पर उछाल आ सकता है। लेकिन जब डिविडेंड का भुगतान हो जाता है, तो शेयर की कीमत में थोड़ी गिरावट आ सकती है। इसका कारण यह है कि कंपनी का कुछ मुनाफा शेयरधारकों में बांटा जाता है, जिससे उसकी बुक वैल्यू कम हो जाती है।

यह भी जानें: 👉 डीमैट अकाउंट कैसे खोलें 2025 


क्या सभी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? ❌✅

सभी कंपनियां डिविडेंड नहीं देतीं। डिविडेंड देने का फैसला पूरी तरह से कंपनी की नीतियों और मुनाफे पर निर्भर करता है। इसे कुछ कारकों के आधार पर समझ सकते हैं:

  1. बड़ी और स्थिर कंपनियां: आमतौर पर बड़ी और स्थिर कंपनियां, जिन्हें “ब्लू-चिप कंपनियां” कहा जाता है, नियमित रूप से डिविडेंड देती हैं। ये कंपनियां आमतौर पर अपने मुनाफे का एक हिस्सा शेयरधारकों में बांटती हैं, क्योंकि इनके पास विस्तार या विकास के लिए अधिक पैसे की जरूरत नहीं होती।
  2. ग्रोथ-ओरिएंटेड कंपनियां: जो कंपनियां अभी बढ़ने की प्रक्रिया में हैं, जैसे टेक्नोलॉजी या स्टार्टअप्स, वे ज्यादातर डिविडेंड नहीं देतीं। इसके बजाय, वे अपना सारा मुनाफा बिजनेस के विस्तार, रिसर्च और डेवलपमेंट में लगाती हैं। उनका उद्देश्य है कि कंपनी की वैल्यू तेजी से बढ़े और शेयर की कीमत में इजाफा हो।
  3. डिविडेंड देने का विकल्प: कुछ कंपनियां ऐसी भी होती हैं जो आर्थिक स्थिति और मुनाफे के अनुसार डिविडेंड देने या न देने का फैसला करती हैं। अगर किसी साल में कंपनी का मुनाफा कम हो जाता है, तो वो डिविडेंड देना रोक सकती है।
  4. निवेशकों की प्राथमिकता: डिविडेंड देने या न देने का फैसला कंपनी इस बात पर भी करती है कि उनके निवेशक किस तरह के रिटर्न की उम्मीद रखते हैं। कुछ निवेशक नियमित आय चाहते हैं, इसलिए वे डिविडेंड देने वाली कंपनियों में निवेश करते हैं। वहीं, कुछ निवेशक शेयर की कीमत में वृद्धि चाहते हैं और डिविडेंड को प्राथमिकता नहीं देते।

डिविडेंड का टैक्सेशन (Dividend Taxation) 📝💰

भारत में डिविडेंड पर टैक्सेशन से संबंधित नियमों को समझने के लिए नीचे दिए गए बिंदुओं पर ध्यान दें:

  1. डिविडेंड पर टैक्स लगाने का तरीका:
    1 अप्रैल 2020 से पहले, कंपनियां “डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT)” का भुगतान करती थीं, लेकिन उसके बाद टैक्सेशन में बदलाव आया है। अब, डिविडेंड पर टैक्स सीधे शेयरधारकों (इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स) द्वारा उनकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगाया जाता है। मतलब, डिविडेंड अब निवेशक की अन्य आय के साथ जुड़ जाता है और उस पर टैक्स उसी स्लैब रेट के अनुसार लगाया जाता है।
  2. TDS (Tax Deducted at Source):
    अगर आपको कंपनी से ₹5,000 से ज्यादा डिविडेंड मिलता है, तो कंपनी इस डिविडेंड पर 10% TDS काटती है। अगर आपका पैन कार्ड कंपनी के साथ अपडेट नहीं है, तो TDS की दर 20% हो सकती है। इस TDS को आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में एडजस्ट कर सकते हैं।
  3. इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स:
    डिविडेंड अब आपकी सालाना आय में शामिल किया जाता है और उस पर टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है। उदाहरण के लिए:
    • अगर आप 5% स्लैब में आते हैं, तो डिविडेंड पर भी 5% टैक्स लगेगा।
    • अगर आप 30% स्लैब में आते हैं, तो आपको डिविडेंड पर 30% टैक्स देना होगा।
  4. सेक्शन 80TTA/80TTB:
    डिविडेंड को सेविंग अकाउंट के ब्याज की तरह धारा 80TTA या 80TTB के तहत छूट नहीं मिलती। इसलिए, डिविडेंड से मिली आय पर पूरी तरह टैक्स लागू होता है, और इसे टैक्स-फ्री इनकम के रूप में नहीं गिना जाता।
  5. विदेशी कंपनियों से डिविडेंड:
    यदि आपको किसी विदेशी कंपनी से डिविडेंड मिलता है, तो इसे भी आपकी इनकम में शामिल किया जाएगा। आमतौर पर, विदेशों में इस डिविडेंड पर पहले से टैक्स लगाया जाता है, लेकिन आप उसे भारत में “डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA)” के तहत क्लेम कर सकते हैं।

यह भी जानें: 👉 फंडामेंटल एनालिसिस क्या है? 2025 


डिविडेंड क्यों जरूरी है? 🤔

  1. निवेशकों को नियमित आय मिलती है।
  2. बड़ी कंपनियों में निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।
  3. यह शेयरधारकों के लिए एक इनाम की तरह होता है।

किन निवेशकों को डिविडेंड पर ध्यान देना चाहिए? 👨‍👩‍👧‍👦

  • रिटायर्ड लोग, जिन्हें नियमित आय की जरूरत होती है।
  • लंबी अवधि के निवेशक, जो भरोसेमंद कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं।
  • कम जोखिम उठाने वाले निवेशक, जो मार्केट के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं।

डिविडेंड से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें ℹ️

  1. अगर कोई कंपनी लगातार डिविडेंड दे रही है, तो इसका मतलब है कि कंपनी मजबूत स्थिति में है।
  2. ज्यादा डिविडेंड यील्ड हमेशा अच्छी चीज नहीं होती, क्योंकि कभी-कभी कंपनियां नुकसान छुपाने के लिए भी ज्यादा डिविडेंड देती हैं।
  3. डिविडेंड मिलने के बाद शेयर की कीमत कम हो सकती है, इसलिए सोच-समझकर निवेश करें।

यह भी जानें: 👉 SIP क्या होता है? 2025 


डिविडेंड से जुड़े FAQ (Frequently Asked Questions):

डिविडेंड क्या होता है? (dividend kya hota hai)

डिविडेंड कंपनी के मुनाफे का वह हिस्सा होता है जो कंपनी अपने शेयरधारकों में बांटती है। इसे कैश या अतिरिक्त शेयरों के रूप में दिया जा सकता है।

कंपनियां डिविडेंड क्यों देती हैं?

कंपनियां अपने शेयरधारकों को प्रोत्साहित करने और अपने मुनाफे का एक हिस्सा शेयर करने के लिए डिविडेंड देती हैं। यह कंपनी के अच्छे वित्तीय प्रदर्शन को दर्शाता है।

सभी कंपनियां डिविडेंड क्यों नहीं देतीं?

सभी कंपनियां डिविडेंड नहीं देतीं क्योंकि कुछ कंपनियां, विशेष रूप से ग्रोथ-फेज वाली कंपनियां, अपना मुनाफा व्यापार के विस्तार या अनुसंधान और विकास में लगाती हैं।

मुझे डिविडेंड कब मिलेगा?

आपको डिविडेंड तब मिलता है जब आप रिकॉर्ड डेट तक कंपनी के शेयर होल्ड करते हैं। कंपनी द्वारा घोषित की गई डिविडेंड भुगतान की तारीख पर यह आपके बैंक अकाउंट में जमा हो जाता है।

डिविडेंड यील्ड क्या होती है?

डिविडेंड यील्ड यह बताती है कि शेयर की कीमत के मुकाबले आपको कितना डिविडेंड मिल रहा है। इसका फॉर्मूला है:
डिविडेंड यील्ड = (डिविडेंड प्रति शेयर / शेयर की कीमत) × 100

डिविडेंड और बोनस शेयर में क्या फर्क है?

डिविडेंड कैश या शेयर के रूप में दिया जा सकता है, लेकिन बोनस शेयर में कंपनी अपने शेयरधारकों को मुफ्त में अतिरिक्त शेयर देती है। डिविडेंड मुनाफे से दिया जाता है, जबकि बोनस शेयर पूंजीकरण (capitalization) से संबंधित होता है।

क्या मैं डिविडेंड मिलने के बाद अपने शेयर बेच सकता हूँ?

हाँ, आप रिकॉर्ड डेट के बाद अपने शेयर बेच सकते हैं और फिर भी डिविडेंड पाने के हकदार रहेंगे। लेकिन, रिकॉर्ड डेट से पहले अगर आपने शेयर बेचे, तो आपको डिविडेंड नहीं मिलेगा।

कैसे पता करें कि कौन सी कंपनी डिविडेंड दे रही है?

आप कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट, स्टॉक एक्सचेंज वेबसाइट्स, या समाचार पोर्टल्स पर देख सकते हैं कि कौन सी कंपनी डिविडेंड दे रही है। साथ ही, कंपनी की डिविडेंड पॉलिसी भी उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध होती है।

क्या डिविडेंड मिलने से शेयर की कीमत पर असर पड़ता है?

हाँ, डिविडेंड मिलने के बाद शेयर की कीमत पर असर पड़ सकता है। एक्स-डिविडेंड डेट के बाद, शेयर की कीमत में आमतौर पर उतना ही गिरावट आती है जितना कि डिविडेंड दिया गया है।


निष्कर्ष 🏁

डिविडेंड एक बेहतरीन तरीका है जिससे निवेशकों को उनकी पूंजी पर नियमित रूप से रिटर्न मिलता है। अगर आप निवेश करने की सोच रहे हैं, तो उन कंपनियों पर ध्यान दें जो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और नियमित रूप से डिविडेंड देती हैं। इससे आपको लंबी अवधि में अच्छा लाभ मिल सकता है।

Leave a Comment