कॉल और पुट क्या है? 2025 | call put meaning in hindi

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“कॉल” और “पुट” का मतलब (call put meaning in hindi)

आज के समय में शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग करना काफी सामान्य बात हो गई है। अगर आप भी शेयर बाजार में दिलचस्पी रखते हैं या निवेश कर रहे हैं, तो आपने ‘कॉल’ और ‘पुट’ जैसे शब्द जरूर सुने होंगे। ये दोनों टर्म्स ऑप्शन ट्रेडिंग का हिस्सा हैं। इस आर्टिकल में हम सरल और आसान भाषा में समझेंगे कि कॉल और पुट का क्या मतलब है, ये कैसे काम करते हैं, और इन्हें समझना क्यों जरूरी है।


कॉल और पुट क्या है

जब आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो आपने कई बार “ऑप्शन” शब्द सुना होगा। ये ऑप्शन, शेयरों या किसी अन्य एसेट को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं, लेकिन इसकी कोई बाध्यता नहीं होती। इसका मतलब है कि आप चाहें तो इसे इस्तेमाल कर सकते हैं, या अगर आपको लाभ नहीं दिख रहा है, तो इसे छोड़ भी सकते हैं। चलिए इसे और सरल भाषा में समझते हैं।

ऑप्शन क्या होते हैं? (What are Options in Hindi)

ऑप्शन शेयर बाजार में ट्रेडिंग का एक तरीका है, जो आपको किसी शेयर या एसेट को एक निश्चित समय और कीमत पर खरीदने या बेचने का विकल्प देता है। ऑप्शन में दो मुख्य प्रकार होते हैं:

  1. कॉल ऑप्शन: यह आपको भविष्य में किसी शेयर को एक निश्चित कीमत पर खरीदने का अधिकार देता है।
  2. पुट ऑप्शन: यह आपको भविष्य में किसी शेयर को एक निश्चित कीमत पर बेचने का अधिकार देता है।

ध्यान दें कि ऑप्शन में शेयर खरीदने या बेचने की बाध्यता नहीं होती, बस यह आपको एक विकल्प देता है।


ऑप्शन कैसे काम करते हैं? (How Options Work in Hindi)

ऑप्शन ट्रेडिंग में जब आप एक ऑप्शन खरीदते हैं, तो आप उस शेयर की भविष्य की कीमत पर सट्टा लगाते हैं। अगर आपको लगता है कि शेयर की कीमत बढ़ेगी, तो आप कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं। और अगर आपको लगता है कि कीमत गिरेगी, तो आप पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं।

  • कॉल ऑप्शन तब फायदेमंद होता है जब शेयर की कीमत बढ़ जाती है।
  • पुट ऑप्शन तब फायदेमंद होता है जब शेयर की कीमत गिर जाती है।

ऑप्शन की कुछ खास बातें:

  1. स्ट्राइक प्राइस: वह कीमत जिस पर आप भविष्य में शेयर को खरीद या बेच सकते हैं।
  2. एक्सपायरी डेट: वह तारीख जिसके बाद ऑप्शन का कोई मतलब नहीं रहता।
  3. प्रीमियम: ऑप्शन खरीदने के लिए आपको एक छोटी रकम देनी होती है, जिसे प्रीमियम कहा जाता है।

ऑप्शन्स ट्रेडिंग क्या होती है? (Options Trading in Hindi)

ऑप्शन्स ट्रेडिंग शेयर बाजार में एक डेरिवेटिव (Derivative) टूल होता है, जहां निवेशक किसी संपत्ति (Asset) को भविष्य में एक निश्चित मूल्य पर खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त करते हैं। यह उन्नत निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रेडिंग रणनीति होती है, जिससे वे कम पूंजी में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस ट्रेडिंग के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं:

  1. कॉल ऑप्शन (Call Option) – खरीदने का अधिकार देता है।
  2. पुट ऑप्शन (Put Option) – बेचने का अधिकार देता है।

ऑप्शन्स ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस विस्तृत गाइड को देखें: ऑप्शन्स ट्रेडिंग की सम्पूर्ण जानकारी?


कॉल ऑप्शन क्या है (What is Call Option in Hindi?)

कॉल ऑप्शन एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट होता है जो किसी निवेशक को यह अधिकार देता है कि वह एक निश्चित समय के भीतर एक निश्चित मूल्य (Strike Price) पर किसी शेयर को खरीद सके। अगर आपको लगता कि शेयर की वैल्यू बढ़ने वाली है तो आप कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं।

उदाहरण:

मान लीजिए, आपने रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक कॉल ऑप्शन को ₹2500 स्ट्राइक प्राइस पर खरीदा। इसका मतलब यह हुआ कि जब भी रिलायंस का शेयर मूल्य ₹2500 से अधिक जाएगा, तो आपको लाभ होगा क्योंकि आपको यह शेयर सस्ते दाम में मिलेगा।

कॉल ऑप्शन के फायदे:

✔️ कम पूंजी में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर।
✔️ निवेशकों को मार्केट बढ़ने से लाभ होता है।
✔️ रिस्क सीमित होता है क्योंकि निवेश की गई राशि से अधिक नुकसान नहीं हो सकता।

कॉल ऑप्शन के नुकसान:

❌ यदि शेयर की कीमत नहीं बढ़ी, तो खरीदी गई प्रीमियम राशि का नुकसान हो सकता है।
❌ ऑप्शन्स का समय समाप्ति (Expiry Date) होती है, जिसके बाद यह बेकार हो सकता है, आपका पैसा 0 हो सकता है।

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पुट ऑप्शन क्या है (What is Put Option in Hindi?)

पुट ऑप्शन एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट होता है जो निवेशक को यह अधिकार देता है कि वह एक निश्चित समय के भीतर एक निश्चित मूल्य (Strike Price) पर किसी शेयर को बेच सके। अगर आपको लगता कि शेयर की वैल्यू बढ़ने घटने वाली है तो आप पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं।

उदाहरण:

मान लीजिए, आपने टाटा स्टील के एक पुट ऑप्शन को ₹1200 स्ट्राइक प्राइस पर खरीदा। अब यदि टाटा स्टील का शेयर मूल्य ₹1200 से कम हो जाता है, तो आपको लाभ होगा क्योंकि आप इसे ऊँचे दाम पर बेच सकते हैं।

पुट ऑप्शन के फायदे:

✔️ गिरते बाजार (Bearish Market) में मुनाफा कमाने का मौका।
✔️ रिस्क सीमित होता है क्योंकि नुकसान सिर्फ निवेश की गई राशि तक सीमित रहता है।
✔️ यह हेजिंग (Hedging) के लिए उपयोगी होता है, जिससे पोर्टफोलियो की सुरक्षा की जा सकती है।

पुट ऑप्शन के नुकसान:

❌ यदि शेयर की कीमत गिरती नहीं है, तो खरीदी गई प्रीमियम राशि का नुकसान हो सकता है।
❌ समय समाप्ति के बाद पुट ऑप्शन बेकार हो सकता है, आपका पैसा 0 हो सकता है।

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कॉल और पुट ऑप्शन के लाभ-हानि को दर्शाने वाला ग्राफ

call put meaning in hindi
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कॉल और पुट ऑप्शन में अंतर (call put meaning in hindi)

बेसिसकॉल ऑप्शन (Call Option)पुट ऑप्शन (Put Option)
अर्थभविष्य में एक निश्चित मूल्य पर शेयर खरीदने का अधिकारभविष्य में एक निश्चित मूल्य पर शेयर बेचने का अधिकार
निवेशकों की मानसिकताबुलिश (Bullish) – वे सोचते हैं कि शेयर की कीमत बढ़ेगीबेयरिश (Bearish) – वे सोचते हैं कि शेयर की कीमत गिरेगी
जोखिम (Risk)सीमित, केवल चुकाए गए प्रीमियम तकसीमित, केवल चुकाए गए प्रीमियम तक
लाभकीमत बढ़ने पर मुनाफाकीमत घटने पर मुनाफा

ऑप्शन कब और क्यों एक्सपायर होते हैं?

ऑप्शन ट्रेडिंग में एक्सपायरी (Expiry) का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है। ऑप्शन एक निश्चित समय के लिए होते हैं, और जब वह समय खत्म हो जाता है, तो उसे ऑप्शन की एक्सपायरी कहा जाता है। एक्सपायरी का मतलब है कि आपके पास उस ऑप्शन को खरीदने या बेचने का जो अधिकार था, वह खत्म हो गया।

ऑप्शन एक्सपायर कब होते हैं? (When do Options Expire in Hindi)

भारत में, ऑप्शन मासिक और साप्ताहिक रूप से एक्सपायर होते हैं। यदि उस दिन कोई छुट्टी होती है, तो यह एक दिन पहले एक्सपायर हो जाते हैं।

ऑप्शन के कुछ मुख्य प्रकार के एक्सपायरी पीरियड होते हैं:

  1. मासिक एक्सपायरी (Monthly Expiry): महीने के आखिरी गुरुवार को होती है।
  2. साप्ताहिक एक्सपायरी (Weekly Expiry): यह हर सप्ताह के आखिरी गुरुवार को होती है, लेकिन यह मुख्य रूप से इंडेक्स ऑप्शन्स (जैसे Nifty, Bank Nifty) में देखी जाती है।
  3. तारीख के आधार पर एक्सपायरी: कुछ ऑप्शन्स को खास तारीखों के लिए भी सेट किया जा सकता है।

ऑप्शन एक्सपायर क्यों होते हैं? (Why do Options Expire in Hindi)

ऑप्शन एक्सपायर इसलिए होते हैं क्योंकि ये एक तय समय सीमा के लिए होते हैं। यह समय सीमा ट्रेडर्स को शेयर की कीमतों की दिशा का अनुमान लगाने के लिए एक निश्चित अवधि देती है। ऑप्शन के एक्सपायर होने का मतलब है कि अब उस ऑप्शन को खरीदने या बेचने का अधिकार समाप्त हो गया।


एक्सपायरी का प्रभाव (Effects of Expiry on Options)

जब ऑप्शन एक्सपायर होते हैं, तो इसके कई प्रभाव होते हैं:

  1. मूल्य का शून्य हो जाना: अगर ऑप्शन की एक्सपायरी के समय तक वह इन-द-मनी (In the Money) नहीं है, तो वह बिना किसी मूल्य के समाप्त हो जाता है। इसका मतलब यह है कि आपको जो प्रीमियम आपने दिया था, वह खो जाता है।
  2. इन-द-मनी ऑप्शन: अगर आपका ऑप्शन इन-द-मनी है (मतलब, आपके ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस उस वक्त की मार्केट प्राइस से अनुकूल है), तो आप या तो शेयर को खरीद/बेच सकते हैं या उसके लिए नकद निपटान (Cash Settlement) हो सकता है।
  3. ऑप्शन की टाइम वैल्यू का खत्म होना: जैसे-जैसे ऑप्शन की एक्सपायरी की तारीख नजदीक आती है, ऑप्शन की टाइम वैल्यू घटती जाती है। समय बीतने के साथ, ऑप्शन की कीमत में गिरावट होती है, जिसे ‘थीटा डिके’ कहा जाता है।

ऑप्शन की एक्सपायरी के प्रभाव से कैसे निपटें? (How to Deal with Option Expiry in Hindi)

  1. समय पर निर्णय लें: ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अगर आप ऑप्शन को एक्सपायरी से पहले बेचते हैं, तो आपको थोड़ा फायदा हो सकता है।
  2. इन-द-मनी और आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शन: हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि एक्सपायरी के समय आपका ऑप्शन इन-द-मनी हो, ताकि आपको मुनाफा हो। अगर ऑप्शन आउट-ऑफ-द-मनी है, तो वह बेकार हो जाएगा।

ऑप्शन्स ट्रेडिंग के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

  1. शोध करें: किसी भी ऑप्शन में निवेश करने से पहले शेयर बाजार का अध्ययन करें।
  2. एक्सपायरी डेट पर ध्यान दें: ऑप्शन्स का एक निश्चित समय होता है, इसलिए इसे समझदारी से चुनें।
  3. रिस्क मैनेजमेंट अपनाएँ: छोटे निवेश से शुरुआत करें और धीरे-धीरे अनुभव बढ़ाएँ।
  4. मार्केट ट्रेंड समझें: अगर मार्केट बुलिश (उर्ध्वगामी) है तो कॉल ऑप्शन चुनें और अगर मार्केट बेयरिश (नीचे जाने वाला) है तो पुट ऑप्शन चुनें।
  5. अतिरिक्त शुल्क और ब्रोकरेज: ऑप्शन्स ट्रेडिंग में ब्रोकर चार्ज और अन्य शुल्क भी होते हैं, इन्हें नजरअंदाज न करें।
  6. हेजिंग (Hedging) का उपयोग करें: पोर्टफोलियो को सुरक्षित करने के लिए पुट ऑप्शन्स का उपयोग करें।

कॉल और पुट ऑप्शन से जुड़े सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. कॉल और पुट ऑप्शन क्या होता है?

उत्तर: कॉल ऑप्शन निवेशक को एक निश्चित कीमत (Strike Price) पर किसी शेयर को खरीदने का अधिकार देता है, जबकि पुट ऑप्शन निवेशक को उसी कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार देता है।

2. कॉल ऑप्शन कब खरीदना चाहिए?

उत्तर: जब आपको लगता है कि किसी शेयर की कीमत बढ़ने वाली है, तब आपको कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए।

3. पुट ऑप्शन कब खरीदना चाहिए?

उत्तर: जब आपको लगता है कि किसी शेयर की कीमत गिरने वाली है, तब पुट ऑप्शन खरीदना सही होता है।

4. ऑप्शन्स ट्रेडिंग कैसे काम करती है?

उत्तर: ऑप्शन्स ट्रेडिंग एक डेरिवेटिव मार्केटिंग टूल है, जिसमें निवेशक भविष्य की कीमतों का अनुमान लगाकर ट्रेडिंग करते हैं। इसमें एक एक्सपायरी डेट होती है, जिस तक ट्रेड पूरा करना जरूरी होता है।

5. ऑप्शन्स ट्रेडिंग में कितना जोखिम होता है?

उत्तर: ऑप्शन्स ट्रेडिंग में जोखिम होता है, लेकिन अगर सही रणनीति अपनाई जाए तो इसे मैनेज किया जा सकता है। यदि प्रीमियम का भुगतान किया जाए, तो नुकसान सिर्फ उतना ही होता है जितना प्रीमियम दिया गया हो।

6. क्या ऑप्शन्स ट्रेडिंग कानूनी है?

उत्तर: हां, भारत में ऑप्शन्स ट्रेडिंग कानूनी है और इसे SEBI (Securities and Exchange Board of India) द्वारा विनियमित किया जाता है।

7. क्या ऑप्शन्स ट्रेडिंग में कोई शुल्क या टैक्स होता है?

उत्तर: हां, ऑप्शन्स ट्रेडिंग में ब्रोकरेज फीस, STT (Securities Transaction Tax), GST और अन्य चार्ज लगते हैं।

8. क्या ऑप्शन्स ट्रेडिंग बिना ब्रोकरेज अकाउंट के की जा सकती है?

उत्तर: नहीं, आपको ऑप्शन्स ट्रेडिंग करने के लिए एक डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा।


निष्कर्ष

कॉल और पुट ऑप्शन्स एक बेहतरीन फाइनेंशियल टूल हैं, जिनका उपयोग आप कम पूंजी में अधिक मुनाफा कमाने के लिए कर सकते हैं। हालाँकि, इसमें जोखिम भी है, इसलिए आपको पूरी जानकारी और उचित योजना के साथ ही निवेश करना चाहिए। अगर आप नए निवेशक हैं तो पहले डेमो अकाउंट से अभ्यास करें और एक्सपर्ट की सलाह लें।

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