etf kya hota hai 2025 | ईटीएफ क्या होता है?

ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) क्या होता है? (etf kya hota hai)

आजकल, लोग अपने पैसे को बढ़ाने के लिए कई तरीकों का सहारा लेते हैं, जैसे शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, और एफडी। लेकिन हाल के वर्षों में एक नया और तेजी से लोकप्रिय विकल्प सामने आया है, जिसका नाम है ETF यानी “एक्सचेंज ट्रेडेड फंड”। यह निवेश का एक ऐसा तरीका है जो म्यूचुअल फंड्स और शेयर बाजार की खूबियों का मिला-जुला रूप है।

यदि आप भी जानना चाहते हैं कि ETF क्या है, यह क्यों खास है, और इसका निवेश के क्षेत्र में क्या महत्व है, तो यह लेख आपकी मदद करेगा। आइए आसान और रोज़मर्रा की भाषा में समझते हैं कि ETF कैसे काम करता है और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं।


ETF का मतलब क्या है? (etf kya hota hai)

ETF का फुल फॉर्म है Exchange Traded Fund। ये एक ऐसा इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है जो म्यूचुअल फंड और शेयर मार्केट का मिक्सचर है। ETF असल में एक फंड होता है जो शेयर बाजार में लिस्ट होता है और जिसकी ट्रेडिंग ठीक वैसे ही होती है जैसे किसी शेयर की होती है।

उदाहरण के तौर पर, अगर आपने रिलायंस का शेयर खरीदा है तो आप उसका मूल्य ग्राफ देख सकते हैं। उसी तरह, अगर आपने एक ETF खरीदा है तो आप उसका मूल्य लाइव ट्रैक कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर खरीद या बेच सकते हैं।


ETF कैसे काम करता है? (etf kya hota hai)

ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) एक ऐसा निवेश का तरीका है जो स्टॉक एक्सचेंज पर शेयरों की तरह खरीदा और बेचा जाता है। आसान भाषा में कहें तो, ETF एक बास्केट की तरह है जिसमें कई कंपनियों के शेयर या दूसरी चीजें जैसे सोना, तेल, बॉन्ड इकट्ठा होती हैं। इसका फायदा ये है कि आपको एक ही निवेश में कई जगह पैसा लगाने का मौका मिल जाता है, जिससे जोखिम कम हो जाता है।

ETF बनाने वाली कंपनियां (जैसे म्यूचुअल फंड कंपनियां) एक बास्केट तैयार करती हैं। इस बास्केट में अलग-अलग प्रकार की परिसंपत्तियां (assets) होती हैं, जैसे-

  • शेयर
  • बांड
  • गोल्ड
  • रियल एस्टेट
  • और अन्य एसेट क्लासेस

ETF कैसे काम करता है:

  1. निवेश का समूह: ETF किसी खास इंडेक्स (जैसे Nifty 50) या क्षेत्र (जैसे बैंकिंग या टेक्नोलॉजी) को फॉलो करता है। इसका मतलब यह है कि इसमें एक साथ कई कंपनियों के शेयर होते हैं।
  2. शेयर बाजार में ट्रेड: ETF को आप वैसे ही खरीद या बेच सकते हैं जैसे आप स्टॉक खरीदते हैं। इसे खरीदने के लिए आपको शेयर बाजार में अपने Demat खाते से ऑर्डर लगाना पड़ता है।
  3. कीमत कैसे तय होती है: ETF की कीमत उन शेयरों या संपत्तियों की कीमत के हिसाब से ऊपर-नीचे होती रहती है जो इसमें शामिल होते हैं। मतलब, अगर कंपनियों के शेयर बढ़ेंगे तो ETF की कीमत भी बढ़ेगी और अगर गिरेंगे तो ETF की कीमत भी घटेगी।
  4. कम खर्चा: म्यूचुअल फंड्स की तुलना में ETF पर मैनेजमेंट का खर्चा कम आता है, क्योंकि इसे एक्टिवली मैनेज नहीं करना पड़ता।
  5. लाभांश और आय: अगर ETF जिन कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है, वे डिविडेंड (लाभांश) देती हैं, तो वो लाभांश आपको भी मिल सकता है।
etf kya hota hai
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ETF आपको कम पैसे में शेयर बाजार की विविधता का फायदा देता है, जिससे आपका पैसा कई जगह लगता है और जोखिम कम होता है। ये नए निवेशकों के लिए एक अच्छा और आसान तरीका है।


ETF की प्रमुख विशेषताएँ:

ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. विविधता (Diversification): ETF में एक ही निवेश के माध्यम से कई स्टॉक्स, बॉन्ड्स या अन्य परिसंपत्तियाँ शामिल होती हैं। इससे आपके निवेश में विविधता आ जाती है और जोखिम कम होता है, क्योंकि अगर एक स्टॉक का प्रदर्शन खराब होता है, तो अन्य स्टॉक्स इसे संतुलित कर सकते हैं।
  2. लिक्विडिटी (Liquidity): ETF को आप स्टॉक एक्सचेंज पर दिन के दौरान किसी भी समय खरीद या बेच सकते हैं। यह आपको फ्लेक्सिबिलिटी देता है और म्यूचुअल फंड्स की तुलना में तुरंत लेनदेन की सुविधा मिलती है, जो दिन के अंत में मूल्यांकन पर आधारित होते हैं।
  3. कम लागत (Low Expense Ratio): ETF की मैनेजमेंट फीस और अन्य खर्च म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम होते हैं, क्योंकि इन्हें एक्टिवली मैनेज नहीं किया जाता। यह एक प्रमुख कारण है कि निवेशक ETF को एक किफायती विकल्प मानते हैं।
  4. प्रदर्शन का ट्रैकिंग (Tracking Performance): ETF आमतौर पर एक खास इंडेक्स (जैसे Nifty 50 या S&P 500) का अनुसरण करते हैं। इसका मतलब है कि ETF उस इंडेक्स के परफॉर्मेंस को ट्रैक करता है, जिससे निवेशक को इंडेक्स की वृद्धि या गिरावट का सीधा लाभ या नुकसान होता है।
  5. लाभांश वितरण (Dividend Distribution): यदि ETF के पोर्टफोलियो में शामिल कंपनियाँ डिविडेंड देती हैं, तो निवेशकों को भी इसका लाभ मिलता है। ये डिविडेंड सीधे निवेशकों के खाते में भेजे जाते हैं या फिर ETF में पुनर्निवेश किए जा सकते हैं।
  6. ट्रांसपेरेंसी (Transparency): ETF अपने पोर्टफोलियो की होल्डिंग्स को नियमित रूप से प्रकाशित करते हैं, जिससे निवेशक हमेशा जान सकते हैं कि उनका पैसा किन परिसंपत्तियों में निवेशित है।
  7. न्यूनतम निवेश: ETF में न्यूनतम निवेश की आवश्यकता सामान्य स्टॉक्स की तरह ही होती है। आप एक यूनिट या उससे अधिक खरीद सकते हैं, जो इसे छोटे निवेशकों के लिए भी सुलभ बनाता है।
  8. जोखिम प्रबंधन (Risk Management): ETF में विभिन्न प्रकार के शेयर या अन्य परिसंपत्तियाँ शामिल होने के कारण जोखिम कम होता है। यदि किसी एक परिसंपत्ति का प्रदर्शन खराब हो, तो पूरी ETF पर इसका उतना असर नहीं पड़ता

ETF की ये विशेषताएँ इसे एक लोकप्रिय और कुशल निवेश साधन बनाती हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो शेयर बाजार में कम जोखिम के साथ निवेश करना चाहते हैं।

यह भी जाने:


ETF के प्रकार

  1. इक्विटी ETF: ये शेयर मार्केट के इंडेक्स (जैसे निफ्टी या सेंसेक्स) को फॉलो करते हैं।
  2. गोल्ड ETF: यह आपको गोल्ड में इन्वेस्ट करने का एक आसान विकल्प देता है।
  3. बॉन्ड ETF: इसमें सरकारी या कॉर्पोरेट बांड्स शामिल होते हैं।
  4. सेक्टर ETF: किसी खास सेक्टर, जैसे आईटी, बैंकिंग, या फार्मा, को ट्रैक करता है।
  5. इंटरनेशनल ETF: इसमें विदेशी बाजारों में निवेश किया जाता है।

ETF में निवेश के फायदे:

ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में निवेश के प्रमुख फायदे इस प्रकार हैं:

  1. विविधता (Diversification):
    • ETF में निवेश करके एक ही समय में कई स्टॉक्स, बॉन्ड्स या अन्य परिसंपत्तियों में निवेश किया जा सकता है। यह जोखिम को कम करता है, क्योंकि आपके निवेश कई कंपनियों और सेक्टरों में फैले होते हैं।
  2. लिक्विडिटी (Liquidity):
    • ETF शेयर बाजार में ट्रेड होते हैं, इसलिए इन्हें स्टॉक्स की तरह आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। दिन के दौरान जब भी आपको जरूरत हो, आप अपने ETF को कैश में बदल सकते हैं।
  3. कम लागत (Low Cost):
    • ETF की प्रबंधन शुल्क (expense ratio) म्यूचुअल फंड्स की तुलना में कम होती है, क्योंकि इसे एक्टिवली मैनेज नहीं किया जाता। इससे आपके निवेश पर आने वाला खर्च कम हो जाता है।
  4. ट्रेडिंग में लचीलापन (Flexibility in Trading):
    • ETF को स्टॉक एक्सचेंज पर बाजार के समय के दौरान खरीदा और बेचा जा सकता है। म्यूचुअल फंड्स के विपरीत, आप किसी भी समय ट्रेड कर सकते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं।
  5. कम जोखिम (Lower Risk):
    • ETF में कई प्रकार की परिसंपत्तियाँ शामिल होने के कारण यह एक स्टॉक में निवेश की तुलना में कम जोखिमपूर्ण होता है। अगर एक स्टॉक का प्रदर्शन खराब होता है, तो अन्य परिसंपत्तियाँ नुकसान की भरपाई कर सकती हैं।
  6. ट्रांसपेरेंसी (Transparency):
    • ETF अपने पोर्टफोलियो की जानकारी नियमित रूप से प्रकाशित करते हैं, जिससे आपको पता चलता है कि आपके पैसे का निवेश कहां किया गया है। इससे आपको अपने निवेश पर अधिक नियंत्रण और जानकारी मिलती है।
  7. डिविडेंड और आय (Dividend and Income):
    • कुछ ETF निवेशकों को डिविडेंड भी प्रदान करते हैं, जो नियमित आय का स्रोत बन सकते हैं। इन डिविडेंड्स को निवेशकों के खाते में सीधे जमा किया जाता है या ETF में पुनः निवेश किया जा सकता है।
  8. कम से कम निवेश (Low Minimum Investment):
    • ETF में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि बहुत कम होती है। यह छोटे निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प है, क्योंकि वे कम पैसे में भी बाजार की विविधता का लाभ उठा सकते हैं।
  9. टैक्स लाभ (Tax Efficiency):
    • ETF को म्यूचुअल फंड्स की तुलना में टैक्स के मामले में अधिक कुशल माना जाता है। यह कैपिटल गेन टैक्स पर कम कर बोझ डालता है, खासकर लंबी अवधि के निवेश पर।
  10. लॉन्ग-टर्म ग्रोथ के लिए उपयुक्त (Suitable for Long-term Growth):
    • ETF का डिज़ाइन इस तरह से किया जाता है कि यह लंबे समय में स्थिर वृद्धि प्रदान कर सके। यह निवेशकों को बाजार के व्यापक प्रदर्शन का लाभ देता है।

ETF में निवेश के ये फायदे इसे एक अच्छा और लचीला निवेश विकल्प बनाते हैं, खासकर उन निवेशकों के लिए जो शेयर बाजार में लंबे समय तक निवेश करना चाहते हैं और विविधता व कम लागत के साथ जोखिम को प्रबंधित करना चाहते हैं।


ETF में निवेश के नुकसान:

  1. बाजार जोखिम: ETF का प्रदर्शन पूरी तरह से बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।
  2. छोटे निवेशक के लिए चुनौतीपूर्ण: ETF की सही समझ न होने से छोटे निवेशक भ्रमित हो सकते हैं।
  3. लिक्विडिटी का अभाव: कुछ खास ETF में खरीदार और विक्रेता कम हो सकते हैं।

म्यूचुअल फंड और ETF के बीच अंतर

यहाँ एक साधारण तालिका दी गई है, जो आम बोलचाल की भाषा में म्यूचुअल फंड और ETF के बीच अंतर दिखाती है:

पैरामीटरम्यूचुअल फंडETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड)
खरीद-बिक्री का तरीकाकंपनी से सीधे खरीदते और बेचते हैंस्टॉक एक्सचेंज पर स्टॉक्स की तरह ट्रेड होता है
कीमत तय होने का तरीकादिन के अंत में एक बार NAV (Net Asset Value) तय होती हैपूरे दिन मांग और आपूर्ति के हिसाब से कीमत बदलती है
मैनेजमेंटएक्टिवली मैनेज किए जाते हैं (मैनेजर फैसला लेते हैं)ज्यादातर पैसिवली मैनेज होते हैं (इंडेक्स को फॉलो करते हैं)
खर्चा (Expense Ratio)थोड़ा ज्यादा (मैनेजर की फीस शामिल होती है)कम खर्च (कम मैनेजमेंट की जरूरत होती है)
मिनिमम निवेशज्यादा हो सकता हैआमतौर पर कम से कम एक शेयर से निवेश शुरू कर सकते हैं
लिक्विडिटी (Liquidity)तुरंत कैश में नहीं बदल सकते, कुछ दिन लग सकते हैंस्टॉक्स की तरह तुरंत बेच सकते हैं
ट्रांसपेरेंसीमंथली या क्वार्टरली होल्डिंग्स की जानकारी मिलती हैरोजाना पोर्टफोलियो की जानकारी मिलती है
डिविडेंडडिविडेंड रिइन्वेस्ट हो सकता है या कैश में मिल सकता हैडिविडेंड सीधे निवेशकों को दिया जाता है या ETF में रिइन्वेस्ट होता है
ट्रेडिंग का समयसिर्फ दिन के अंत में खरीदा/बेचा जा सकता हैपूरे दिन ट्रेडिंग कर सकते हैं जैसे स्टॉक्स
कौन सही हैलंबी अवधि के निवेशक, जो एक्टिव मैनेजमेंट चाहते हैंवो लोग जो तुरंत खरीद-बेच कर सकते हैं और कम खर्चा चाहते हैं

ETF में किस प्रकार के लोगों को निवेश करना चाहिए

ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में निवेश उन लोगों के लिए बेहतर हो सकता है जो निम्नलिखित विशेषताएँ रखते हैं:

  1. लंबी अवधि के निवेशक:
    • जो लोग लंबी अवधि में बाजार की वृद्धि का लाभ उठाना चाहते हैं, उनके लिए ETF अच्छा विकल्प है। क्योंकि ये इंडेक्स या विशेष परिसंपत्तियों को ट्रैक करते हैं, ये निवेशकों को लंबी अवधि में स्थिर रिटर्न देने का मौका देते हैं।
  2. कम जोखिम वाले निवेशक:
    • अगर आप एक ही स्टॉक में निवेश करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते और विविधता (Diversification) की तलाश में हैं, तो ETF में निवेश बेहतर होता है। क्योंकि ETF में कई कंपनियों या परिसंपत्तियों का मिश्रण होता है, आपका जोखिम कम हो जाता है।
  3. लिक्विडिटी की आवश्यकता वाले निवेशक:
    • ETF को स्टॉक की तरह दिन के किसी भी समय खरीदा या बेचा जा सकता है। अगर आपको अपने निवेश को तुरंत नकदी में बदलने की जरूरत होती है, तो ETF एक अच्छा विकल्प है।
  4. कम लागत में निवेश करने वाले लोग:
    • ETF की प्रबंधन शुल्क (Expense Ratio) म्यूचुअल फंड्स की तुलना में कम होती है। अगर आप कम खर्च में निवेश करना चाहते हैं, तो ETF एक किफायती विकल्प है।
  5. सिस्टमेटिक निवेश करने वाले निवेशक:
    • अगर आप छोटे-छोटे हिस्सों में नियमित निवेश करना चाहते हैं, तो ETF में SIP (Systematic Investment Plan) की सुविधा होती है, जिससे आप बाजार में नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं।
  6. ट्रेडिंग में लचीलापन चाहने वाले लोग:
    • जो निवेशक बाजार में सक्रिय रूप से ट्रेड करना चाहते हैं और स्टॉक्स की तरह ETF को खरीदने-बेचने का लचीलापन चाहते हैं, उनके लिए ETF सही है।
  7. कम से कम निवेश के साथ शुरुआत करने वाले:
    • जो लोग कम राशि से निवेश शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए ETF अच्छा विकल्प है, क्योंकि आप एक यूनिट से भी निवेश कर सकते हैं, जबकि म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए ज्यादा राशि की आवश्यकता हो सकती है।
  8. टैक्स में बचत चाहने वाले निवेशक:
    • ETF टैक्स के हिसाब से म्यूचुअल फंड्स से अधिक लाभदायक हो सकते हैं, खासकर जब कैपिटल गेन टैक्स की बात हो। अगर आप टैक्स बचत पर ध्यान देते हैं, तो ETF एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

संक्षेप में, ETF उन लोगों के लिए उपयुक्त हैं जो कम खर्च, लिक्विडिटी, विविधता, और लंबी अवधि के बाजार के रिटर्न का फायदा उठाना चाहते हैं। खासकर वे लोग जो म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले अधिक पारदर्शिता और नियंत्रण चाहते हैं, उनके लिए ETF एक अच्छा विकल्प है।


ETF में ट्रेडिंग (etf kya hota hai)

यहाँ ETF में ट्रेडिंग के प्रमुख पहलुओं को संक्षेप में दिया गया है:

  1. पूरे दिन की ट्रेडिंग:
    • ETF को पूरे दिन, जैसे स्टॉक्स की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है।
  2. लचीलापन:
    • दिनभर ट्रेडिंग का लचीलापन मिलता है, जबकि म्यूचुअल फंड्स में यह केवल दिन के अंत में होता है।
  3. कम लागत:
    • ETF में ट्रांजैक्शन फीस कम होती है, क्योंकि म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम प्रबंधन शुल्क होता है।
  4. ट्रेडिंग के अवसर:
    • बाजार के उतार-चढ़ाव से लाभ उठाने के लिए कई अवसर होते हैं।

ETF में निवेश कैसे करे

ETF में निवेश करने के लिए निम्नलिखित सरल कदमों का पालन किया जा सकता है:

  1. डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें:
    • सबसे पहले, आपको एक डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। यह अकाउंट ब्रोकर या किसी बैंक के साथ खोला जा सकता है। डिमैट अकाउंट में आपके ETF यूनिट्स रखे जाएंगे, और ट्रेडिंग अकाउंट से आप इन्हें खरीद और बेच सकेंगे।
    • डीमैट अकाउंट कैसे खोले संक्षेप में जानने के लिए यह पढ़ें: डीमैट अकाउंट कैसे खोलें 
  2. ब्रोकर चुनें:
    • एक ब्रोकर का चयन करें जो ETF ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता हो। कई ब्रोकर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे Zerodha, Upstox, Angel One आदि के माध्यम से ETF में निवेश की सुविधा देते हैं।
    • बेस्ट डीमैट अकाउंट फ्री में खोलने के लिए यहाँ क्लिक करें। सबसे अच्छे Demat अकाउंट्स की सूची
  3. ETF का चयन करें:
    • बाजार में उपलब्ध विभिन्न ETF में से अपनी पसंद के ETF का चयन करें। आप इंडेक्स ETF, सेक्टर ETF, गोल्ड ETF आदि में से चुन सकते हैं, जो आपकी निवेश रणनीति और लक्ष्य के हिसाब से उपयुक्त हो।
  4. मार्केट का विश्लेषण करें:
    • ETF खरीदने से पहले, उस ETF के बारे में पूरा विश्लेषण करें। जैसे कि वह किस इंडेक्स या परिसंपत्तियों को ट्रैक कर रहा है, उसका प्रदर्शन कैसा है, और उसकी लागत (expense ratio) क्या है।
  5. ऑर्डर दें:
    • एक बार ETF का चयन कर लेने के बाद, ट्रेडिंग अकाउंट में लॉग इन करें और खरीदने के लिए ऑर्डर दें। आप मार्केट ऑर्डर (जो वर्तमान कीमत पर खरीदी जाती है) या लिमिट ऑर्डर (जिसमें आप एक निश्चित मूल्य पर खरीद चाहते हैं) दे सकते हैं।
  6. निवेश की निगरानी करें:
    • ETF में निवेश करने के बाद, अपने निवेश की नियमित निगरानी करें। बाजार की परिस्थितियों के अनुसार, आप अपने निवेश में बदलाव कर सकते हैं।
  7. लंबी अवधि के लिए होल्ड करें:
    • ETF में निवेश करने के बाद, अगर आपने लंबी अवधि के लिए निवेश किया है तो इसे होल्ड करें और बाजार के प्रदर्शन का लाभ उठाएं।

इस प्रकार, ETF में निवेश करना सरल और सीधा है, बस आपको सही ब्रोकर और ETF का चयन करना होता है।


ETF के बारे में FAQ

1. ETF क्या है? (etf kya hota hai)

उत्तर: ETF एक प्रकार का निवेश फंड होता है जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होता है और यह आमतौर पर किसी विशिष्ट इंडेक्स, सेक्टर, या वस्तु (जैसे सोना, तेल, आदि) का प्रतिनिधित्व करता है।

2. ETF और म्यूच्यल फंड में क्या अंतर है?

उत्तर: म्यूच्यल फंड को दिन के अंत में नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर खरीदा या बेचा जा सकता है, जबकि ETF को पूरे दिन स्टॉक मार्केट में ट्रेड किया जा सकता है, और इसके मूल्य में दिनभर उतार-चढ़ाव होता है।

3. ETF में निवेश करने का क्या फायदा है?

उत्तर: ETF में निवेश करने से निवेशक कम लागत पर विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में निवेश कर सकते हैं, और इसकी लिक्विडिटी भी अच्छी होती है क्योंकि यह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होता है।

4. क्या ETF में जोखिम होता है?

उत्तर: हाँ, जैसे कि किसी अन्य निवेश में होता है, ETF में भी जोखिम होता है, क्योंकि इसका प्रदर्शन बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। यह निवेशक के द्वारा चुने गए ETF के प्रकार और उसके underlying assets पर निर्भर करता है।

5. ETF खरीदने का तरीका क्या है?

उत्तर: ETF को एक सामान्य स्टॉक की तरह किसी भी ब्रोकरेज अकाउंट के जरिए खरीदा जा सकता है। आपको अपने ब्रोकरेज खाते में लॉग इन करना होगा और जिस ETF में आप निवेश करना चाहते हैं, उसे खरीदना होगा।

6. ETF के निवेश के लिए क्या न्यूनतम राशि चाहिए?

उत्तर: ETF के लिए न्यूनतम राशि उस ETF की कीमत पर निर्भर करती है, क्योंकि इसे स्टॉक की तरह खरीदा जाता है। आमतौर पर, आप एक या अधिक शेयर खरीद सकते हैं, लेकिन इसे निवेशक की आवश्यकता और ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म के नियमों के अनुसार निर्धारित किया जाता है।


निष्कर्ष: (etf kya hota hai)

ETF एक शानदार और सरल निवेश माध्यम है, खासकर उन लोगों के लिए जो शेयर मार्केट में दिलचस्पी रखते हैं और कम खर्चे में डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो चाहते हैं। हालांकि, किसी भी प्रकार का निवेश करने से पहले उसकी पूरी जानकारी लेना जरूरी है। ETF के साथ, समझदारी से निवेश करें और लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न का आनंद लें।

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