स्टॉप लॉस क्या होता है? 2025 | stop loss kya hota hai

स्टॉप लॉस क्या होता है? (stop loss kya hota hai)

अगर आप शेयर बाजार, कमोडिटी बाजार या फॉरेक्स ट्रेडिंग में हाथ आजमा रहे हैं, तो आपने “स्टॉप लॉस” शब्द जरूर सुना होगा। यह एक ऐसा टूल है जो न केवल नुकसान को सीमित करता है बल्कि आपको लंबे समय तक बाजार में टिके रहने का मौका भी देता है। इसका मुख्य उद्देश्य आपकी पूंजी की सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन है। आइए स्टॉप लॉस क्या होता है (stop loss kya hota hai) आसान शब्दों में और गहराई से समझते हैं।


स्टॉप लॉस का मतलब

स्टॉप लॉस का मतलब है एक प्री-डिफाइन्ड (पहले से तय किया हुआ) स्तर जिस पर आप किसी स्टॉक या ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट को बेचने का निर्णय लेते हैं ताकि आपका नुकसान नियंत्रित रह सके।

उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आपने किसी स्टॉक को ₹100 की कीमत पर खरीदा है। आप ये सोचते हैं कि अगर इस स्टॉक की कीमत ₹90 से नीचे चली जाए, तो आप इसे बेच देंगे ताकि और बड़े नुकसान से बचा जा सके। ₹90 का यह स्तर आपका “स्टॉप लॉस” कहलाएगा।


स्टॉप लॉस क्यों जरूरी है?

  1. नुकसान की सीमा तय करता है: किसी भी निवेश में जोखिम होता है। स्टॉप लॉस लगाने से आप अपने नुकसान को सीमित कर सकते हैं।
  2. भावनात्मक फैसले से बचाव: जब बाजार में उतार-चढ़ाव होता है, तो निवेशक अक्सर घबरा जाते हैं और गलत फैसले ले सकते हैं। स्टॉप लॉस आपकी इस समस्या को हल करता है।
  3. ट्रेडिंग में अनुशासन लाता है: स्टॉप लॉस लगाने से आप अपने ट्रेडिंग प्लान पर टिके रहते हैं और बाजार की अस्थिरता से परेशान नहीं होते।
  4. मार्केट पर लगातार नजर रखने की जरूरत नहीं: स्टॉप लॉस सेट करने से आपको मार्केट पर लगातार नजर नहीं रखनी पड़ती, यह आपके तय किए गए स्तर पर खुद ही ऑर्डर को एक्सेक्यूट कर देता है।
  5. जोखिम प्रबंधन: स्टॉप लॉस एक प्रमुख टूल है जिससे आप अपने निवेश के जोखिम को प्रभावी ढंग से मैनेज कर सकते हैं।
  6. लॉन्ग-टर्म निवेश में सुरक्षा: यह आपको लॉन्ग-टर्म के लिए सही रणनीति बनाने और अचानक होने वाले बड़े नुकसान से बचने में मदद करता है।

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स्टॉप लॉस कैसे काम करता है? (stop loss kya hota hai)

जब आप किसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर स्टॉप लॉस लगाते हैं, तो यह एक ऑर्डर बन जाता है जो आपके निर्धारित स्तर पर अपने आप एक्टिव हो जाता है। यह दो तरह से लगाया जा सकता है:

  1. स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर: इसमें जब स्टॉप लॉस का स्तर छूता है, तो आपका स्टॉक मार्केट प्राइस पर बिक जाता है।
  2. स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर: इसमें स्टॉप लॉस के स्तर पर एक लिमिट ऑर्डर एक्टिव होता है। इसका मतलब है कि आपकी एसेट तय की गई कीमत पर ही बिकेगी, भले ही बाजार में उतार-चढ़ाव हो।
 stop loss kya hota hai
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स्टॉप लॉस के प्रकार: (stop loss kya hota hai)

  1. फिक्स्ड स्टॉप लॉस:
    • इसमें आप एक निश्चित मूल्य (स्टॉप प्राइस) सेट करते हैं, जिस पर ऑर्डर ट्रिगर होगा।
    • इसे तब इस्तेमाल करते हैं जब आप पहले से तय करना चाहते हैं कि नुकसान के कितने प्रतिशत या कितनी राशि तक आप रिस्क लेना चाहते हैं।
    • उदाहरण: यदि आपने किसी शेयर को ₹100 पर खरीदा और आप ₹90 पर स्टॉप लॉस सेट करते हैं, तो जब शेयर की कीमत ₹90 तक गिरती है, आपका ऑर्डर ऑटोमैटिकली ट्रिगर हो जाएगा।
  2. ट्रेलिंग स्टॉप लॉस:
    • इसमें स्टॉप लॉस शेयर की बढ़ती कीमत के साथ एडजस्ट होता है। यदि शेयर की कीमत बढ़ती है, तो स्टॉप लॉस भी उसी हिसाब से ऊपर शिफ्ट हो जाता है।
    • इसका फायदा यह है कि आप मुनाफे को लॉक कर सकते हैं और साथ ही गिरावट से बच सकते हैं।
    • उदाहरण: अगर आपका स्टॉप लॉस 10% नीचे सेट है और शेयर की कीमत ₹100 से ₹110 तक बढ़ जाती है, तो स्टॉप लॉस ₹99 पर आ जाएगा (₹110 का 10%)।
  3. सपोर्ट और रेसिस्टेंस स्टॉप लॉस:
    • इस प्रकार का स्टॉप लॉस सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल को ध्यान में रखकर सेट किया जाता है।
    • सपोर्ट लेवल से नीचे स्टॉप लॉस लगाकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि अगर शेयर सपोर्ट तोड़ता है, तो नुकसान कम हो।
    • उदाहरण: यदि किसी शेयर का सपोर्ट लेवल ₹50 है, तो आप स्टॉप लॉस ₹48 या ₹49 पर सेट कर सकते हैं।
  4. वॉल्यूम-आधारित स्टॉप लॉस:
    • इसमें आप वॉल्यूम और मार्केट की लिक्विडिटी के आधार पर स्टॉप लॉस सेट करते हैं। अगर भारी वॉल्यूम के साथ कीमतें गिरती हैं, तो स्टॉप लॉस ट्रिगर हो सकता है।
    • यह उन ट्रेडर्स के लिए उपयोगी होता है जो वॉल्यूम और ट्रेडिंग पैटर्न्स पर ध्यान देते हैं।

स्टॉप लॉस कहाँ लगाए जाते हैं?

  1. इंट्राडे ट्रेडिंग:
    • इंट्राडे में तेजी से कीमतें बदलती हैं, इसलिए स्टॉप लॉस का इस्तेमाल नुकसान को जल्दी से कम करने के लिए किया जाता है।
    • उदाहरण: यदि आप एक दिन के लिए ट्रेड कर रहे हैं और शेयर की कीमत तेजी से घटने लगती है, तो स्टॉप लॉस आपको बड़े नुकसान से बचाएगा।
  2. स्विंग ट्रेडिंग:
    • स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस का इस्तेमाल मार्केट के सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल्स के आधार पर किया जाता है, ताकि छोटे-छोटे मुनाफे को कैप्चर किया जा सके।
  3. लॉन्ग-टर्म निवेश:
    • लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए स्टॉप लॉस मददगार होता है जब मार्केट में लंबी अवधि के लिए गिरावट आती है।
    • उदाहरण: अगर किसी शेयर की कीमत तेजी से गिरने की संभावना होती है, तो लॉन्ग-टर्म निवेशक अपने पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए स्टॉप लॉस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  4. वोलाटाइल स्टॉक्स में:
    • जिन शेयरों की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव होता है, उन पर स्टॉप लॉस सेट करना जरूरी होता है ताकि अचानक गिरावट की स्थिति में नुकसान को रोका जा सके।

स्टॉप लॉस लगाने के फायदे

  • बड़े नुकसान से बचाव: बाजार हमेशा आपके पक्ष में नहीं रहेगा। स्टॉप लॉस से आप संभावित भारी नुकसान से बच सकते हैं।
  • अनुशासन बनाए रखना: यह आपको भावनाओं से प्रेरित होकर गलत निर्णय लेने से बचाता है।
  • स्मार्ट ट्रेडिंग की आदत: यह आपको सोच-समझकर और सुरक्षित तरीके से ट्रेडिंग करने में मदद करता है।

स्टॉप लॉस के नुकसान

  1. फॉल्स ट्रिगर: छोटे उतार-चढ़ाव में स्टॉप लॉस एक्टिव हो सकता है, जिससे शेयर बेवजह बिक सकते हैं और आप संभावित मुनाफा खो सकते हैं।
  2. मार्केट गैप में नुकसान: जब बाजार बड़े अंतर से खुलता है, तो स्टॉप लॉस आपकी तय कीमत पर ट्रिगर नहीं होता और आपका ऑर्डर कम कीमत पर एक्सेक्यूट हो सकता है।
  3. सटीक स्टॉप प्राइस तय करना मुश्किल: सही स्टॉप प्राइस सेट करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे या तो जल्दी ट्रिगर हो सकता है या ज्यादा नुकसान हो सकता है।

यह भी जाने: कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? 


स्टॉप लॉस कब और कैसे लगाएं?

स्टॉप लॉस लगाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपनी जोखिम सहने की क्षमता (रिस्क कैपेसिटी) को ध्यान में रखें।

  1. एंट्री प्राइस पर फोकस करें: आपका स्टॉप लॉस एंट्री प्राइस से उचित दूरी पर होना चाहिए। बहुत पास स्टॉप लॉस लगाने से आपका ऑर्डर जल्दी एक्टिव हो सकता है।
  2. चार्ट और एनालिसिस का उपयोग करें: सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को देखकर स्टॉप लॉस तय करें।
  3. रिस्क-रिवार्ड रेशियो का ध्यान रखें: एक अच्छा ट्रेड 1:2 रिस्क-रिवार्ड रेशियो पर आधारित होता है। यानी अगर आपका संभावित लाभ ₹20 है, तो आपका स्टॉप लॉस ₹10 पर होना चाहिए।
  4. बिना रिसर्च के स्टॉप लॉस लगाना: मार्केट ट्रेंड और डेटा के बिना स्टॉप लॉस लगाना भी गलतियों को बढ़ावा देता है।
  5. सिर्फ स्टॉप लॉस पर निर्भर रहना: स्टॉप लॉस महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे मुख्य स्ट्रेटजी के रूप में देखना गलत है। निवेश में विविधीकरण (डायवर्सिफिकेशन) और प्लानिंग भी जरूरी हैं।

स्टॉप लॉस कैसे लगाएं?

  1. ब्रोकर अकाउंट में लॉगिन करें:
    • सबसे पहले अपने ट्रेडिंग अकाउंट में लॉगिन करें, जहां आपने शेयर खरीदे हैं।
  2. शेयर का चयन करें:
    • वह शेयर चुनें जिस पर आप स्टॉप लॉस लगाना चाहते हैं।
  3. ऑर्डर टाइप चुनें:
    • आपके पास “बॉय” और “सेल” ऑप्शन होंगे। “सेल” ऑप्शन चुनें, क्योंकि आप स्टॉप लॉस के जरिए अपने शेयर को बेचना चाहते हैं।
  4. स्टॉप लॉस प्राइस सेट करें:
    • आपको एक स्टॉप प्राइस तय करना होगा, यानी वह कीमत जिस पर आपका शेयर अपने आप बेचा जाएगा। उदाहरण के तौर पर, यदि आपने ₹100 पर कोई शेयर खरीदा है और आपको ₹90 पर स्टॉप लॉस सेट करना है, तो जैसे ही शेयर ₹90 तक गिरेंगा, वह अपने आप बिक जाएगा।
  5. स्टॉप लॉस ऑर्डर का प्रकार चुनें:
    • फिक्स्ड स्टॉप लॉस: आप एक स्थिर कीमत सेट करेंगे, जैसे ₹90।
    • ट्रेलिंग स्टॉप लॉस: यह आपके द्वारा तय की गई सीमा के आधार पर शेयर की कीमत बढ़ने के साथ स्टॉप प्राइस को अपने आप बढ़ा देता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने ₹90 पर ट्रेलिंग स्टॉप सेट किया है और शेयर की कीमत ₹100 तक बढ़ती है, तो स्टॉप लॉस ₹90 से ₹95 तक बढ़ सकता है।
  6. ऑर्डर को कन्फर्म और सबमिट करें:
    • सभी विवरण भरने के बाद, ऑर्डर को कन्फर्म करें और उसे सबमिट करें। अब आपका स्टॉप लॉस सक्रिय हो जाएगा।
  7. निगरानी रखें:
    • एक बार स्टॉप लॉस सेट करने के बाद भी, आप अपनी ट्रेडिंग स्थिति की निगरानी कर सकते हैं और आवश्यकता के अनुसार स्टॉप लॉस को बदल सकते हैं।

नोट: स्टॉप लॉस की कीमत का निर्धारण करते समय आपको बाजार की वोलैटिलिटी और आपकी रिस्क-लेने की क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए।


स्टॉप लॉस के बारे में FAQ:

स्टॉप लॉस क्या है? (stop loss kya hota hai)

स्टॉप लॉस एक ऐसा आदेश है जो आपके शेयर की कीमत एक निर्धारित स्तर तक गिरने पर आपके शेयरों को बेचने का कार्य करता है, ताकि आप नुकसान से बच सकें।

स्टॉप लॉस क्यों जरूरी है?

स्टॉप लॉस आपको अचानक मार्केट गिरावट से बचाता है, जिससे आप अपने निवेश को बड़े नुकसान से बचा सकते हैं और अपने जोखिम को नियंत्रित कर सकते हैं।

स्टॉप लॉस कैसे काम करता है?

जब आपके द्वारा निर्धारित स्टॉप प्राइस तक शेयर की कीमत गिरती है, तो स्टॉप लॉस ऑर्डर सक्रिय हो जाता है और आपके शेयरों को बेचा जाता है।

क्या स्टॉप लॉस हमेशा सही टाइम पर काम करता है?

नहीं, कभी-कभी स्टॉप लॉस मार्केट गैप्स और छोटे उतार-चढ़ाव के कारण गलत समय पर ट्रिगर हो सकता है।

कहाँ स्टॉप लॉस लगाना चाहिए?

स्टॉप लॉस को उस स्तर पर लगाना चाहिए जहां आपको लगता है कि शेयर की कीमत गिरने पर आपका नुकसान बढ़ सकता है। इसे सपोर्ट या रेसिस्टेंस स्तरों के आसपास लगाना अच्छा होता है।

क्या स्टॉप लॉस लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए सही है?

नहीं, स्टॉप लॉस लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए हमेशा उपयुक्त नहीं होता, क्योंकि इसमें छोटे उतार-चढ़ाव में शेयर जल्दी बिक सकते हैं जबकि लंबी अवधि में कीमत बढ़ सकती है।


निष्कर्ष (stop loss kya hota hai)

स्टॉप लॉस एक मजबूत सुरक्षा उपाय है जो हर ट्रेडर और निवेशक को अपनाना चाहिए। यह न केवल आपके पैसे की सुरक्षा करता है, बल्कि आपको स्मार्ट और अनुशासित निवेशक बनने में भी मदद करता है। अगली बार जब आप बाजार में निवेश करें, तो स्टॉप लॉस लगाना न भूलें। यह छोटे नुकसान को रोककर आपके बड़े सपनों की रक्षा करेगा।

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